नव ग्रहों में शनि देव का विशेष स्थान है। ऐसी मान्यता है कि शनि देव की जिस पर कृपा बरस जाए वह रंक से राजा बन जाता है। मान्यता यह भी है कि शनि देव जिस पर कुपित हो जाएं वह राजा से रंक भी बन जाता है।
नई दिल्ली: नव ग्रहों में शनि देव का विशेष स्थान है। ऐसी मान्यता है कि शनि देव की जिस पर कृपा बरस जाए वह रंक से राजा बन जाता है। मान्यता यह भी है कि शनि देव जिस पर कुपित हो जाएं वह राजा से रंक भी बन जाता है। इस आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अर्थात अमावस्या इस बार दो दिन रहेगी। 9 जुलाई को अमावस्या का पुण्य काल रहेगा जबकि 10 जुलाई को शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है।
अमावस्या तिथि 9 जुलाई को सूर्योदय पूर्व प्रात: 4 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ होकर 10 जुलाई को सूर्योदय बाद प्रात: 6.48 बजे तक रहेगी। इसलिए पुण्यकाल 24 घंटे से भी अधिक समय का 9 जुलाई को रहेगा, जबकि10 जुलाई को सूर्योदय बाद तक अमावस्या का स्पर्श होने से शनैश्चरी अमावस्या का योग बना है। यह साल 2021 की दूसरी शनैश्चरी अमावस्या रहेगी। इसके पहले 13 मार्च को भी शनैश्चरी अमावस्या का योग बना था।
शनैश्चरी अमावस्या के दिन पुनर्वसु नक्षत्र, व्याघ्र योग और नाग करण रहेगा। यह दिन शनि से जुड़े समस्त दोषों, शनि की साढ़ेसाती, ढैया, पनौती, जन्मकुंडली में शनि पीड़ाकारक, मारक हो या नाग दोष, कालसर्प दोष आदि से मुक्ति के लिए श्रेष्ठ है।
इस तिथि पर तीर्थ स्नान और दान का कई गुना पुण्य फल मिलता है। अमावस्या शनिदेव की जन्म तिथि भी है। इसलिए इस दिन शनिदेव के पीपल के पेड़ की पूजा करने से कुंडली में मौजूद शनि दोष खत्म होते हैं। इस दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए व्रत रखना चाहिए और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाना चाहिए।