लोक जनशक्ति पार्टी में बने दो अलग अलग गुट का मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा। लेकिन न्यायालय से चिराग पासवान को बड़ा झटका लगा है।
नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी में बने दो अलग अलग गुट का मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा। लेकिन न्यायालय से चिराग पासवान को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने चिराग पासवान की तरफ से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चिराग पासवान ने लोकसभा स्पीकर द्वारा पशुपति पारस को संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता दी थी। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि लोकसभा स्पीकर को सदन की कार्रवाई से जुड़े हुए फैसले लेने का पूरा अधिकार।
कोर्ट ने कहा चिराग की अर्जी में कोई नया आधार नहीं है, चूंकि यह मामला लोकसभा स्पीकर के पास पेडिंग है लिहाजा आदेश देने का कोई जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि चिराग की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी में इस समय अंदरूनी खींचतान चरम पर है। गौरतलब है कि एलजेपी के लोकसभा में छह सांसद हैं। पशुपति कुमार पारस, अपने भतीजे के विरोधी लोजपा के सांसदों के समर्थन से चिराग को हटाकर स्वयं लोकसभा में पार्टी के नेता के पद पर आसीन हो गए हैं।
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में चिराग पासवान ने याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी थी। लोकसभा अध्यक्ष ने पशुपति पारस को लोजपा का नेता सदन माना है। चिराग पासवान की तरफ से पेश वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में जल्द मामले की सुनवाई की मांग की थी।