जीवन का सफर लंबा भी है, और चुनौतियों भरा भी है। सपने देखने वाले दूरी और दिक्क्तों से भी आगे देखते है। ऐसी ही कहानी सुरेंद्रन के. पटेल की भी है। जिन्होंने बीड़ी बनाने के साथ एक सपना देखा। सपना भी कोई छोटा नहीं, सात समंदर पार न्याय की कलम चलाने का।
Success Story-Surendran K Patel: जीवन का सफर लंबा भी है, और चुनौतियों भरा भी है। सपने देखने वाले दूरी और दिक्क्तों से भी आगे देखते है। ऐसी ही कहानी सुरेंद्रन के. पटेल की भी है। जिन्होंने बीड़ी बनाने के साथ एक सपना देखा। सपना भी कोई छोटा नहीं, सात समंदर पार न्याय की कलम चलाने का। ये कहानी सुरेंद्रन के. पटेल की। जो आज सपनों को सच करने की सच्ची कहानी बन गई। अमेरिका में बसे केरल के रहने वाले सुरेंद्रन के. पटेल जिन्होंने टेक्सास के फोर्ट बेंड काउंटी में 240 वें न्यायिक जिला न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 51 साल के Surendran K Patel की सफलता की चर्चा हर तरफ हो रही है। लेकिन उन्होंने दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और इच्छा शक्ति से इस पद को हासिल किया है।
फुल टाइम बीड़ी मजदूर बन गए
सुरेंद्रन के. पटेल का जन्म केरल के कासरगोड में एक दैनिक मजदूर के घर हुआ तो बचपन बेहद गरीबी में गुजरा। वह अपनी बहन के साथ बीड़ी बनाने का काम करते थे। घर की आर्थिक हालत खराब होने के कारण उन्होंने 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और फुल टाइम बीड़ी मजदूर बन गए।
परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई
पढ़ाई में एक साल का ब्रेक होने के बाद उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू की। उनका एडमिशन इके नायनार मेमोरियल गवर्नमेंट कॉलेज में हुआ। इसके बाद भी गुजारा करने के लिए वह बीड़ी बनाने का काम करते थे। इस वजह से कॉलेज में उनकी अटेंडेंस पूरी नहीं हुई और उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई। लेकिन, इसके बाद उन्होंने कॉलेज के टीचर्स से परीक्षा में बैठने की अनुमति मांगी।
टीचर्स की मदद से परीक्षा में बैठे
सुरेंद्रन पटेल बताते हैं कि अगर वो कॉलेज के टीचर्स को बताता कि वह बीड़ी बनाने वाले मजदूर हैं। तो, टीचर्स के मन में उनके लिए सहानुभूति होती। उन्होंने इस बारे में बात न करते हुए टीचर्स से कहा कि यदि परीक्षा में मेरे अच्छे नंबर नहीं आए तो मैं पढ़ाई छोड़ दूंगा। हालांकि जब रिजल्ट आया तो वह टॉपर थे। इसके बाद, टीचर्स ने उनका बहुत सपोर्ट किया। इस कारण उन्होंने ग्रेजुएशन में भी टॉप किया।
टीचर्स की मदद से परीक्षा में बैठे
सुरेंद्रन पटेल बताते हैं कि अगर वो कॉलेज के टीचर्स को बताता कि वह बीड़ी बनाने वाले मजदूर हैं। तो, टीचर्स के मन में उनके लिए सहानुभूति होती। उन्होंने इस बारे में बात न करते हुए टीचर्स से कहा कि यदि परीक्षा में मेरे अच्छे नंबर नहीं आए तो मैं पढ़ाई छोड़ दूंगा। हालांकि जब रिजल्ट आया तो वह टॉपर थे। इसके बाद, टीचर्स ने उनका बहुत सपोर्ट किया। इस कारण उन्होंने ग्रेजुएशन में भी टॉप किया।
साल 1995 में सुरेंद्रन पटेल ने अपनी लॉ की डिग्री प्राप्त की और एक साल बाद केरल के होसदुर्ग में प्रैक्टिस करना शुरू किया। उनके काम ने उन्हें ख्याति दिलाई। इसके बाद वे नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में काम करना शुरू कर दिया। सुरेंद्रन की पत्नी एक नर्स थीं, जिन्हें साल 2007 में अमेरिका के प्रसिद्ध अस्पताल में नौकरी मिल गई।
सुरेंद्रन अपनी पत्नी और बेटी के साथ ह्यूटन चले गए, तब सुरेंद्रन के पास नौकरी नहीं थी। कुछ समय के बाद उन्होंने फिर से अमेरिका में वकालत की दुनिया में प्रवेश किया। इसके लिए नए सिरे से पढ़ाई भी की। उन्होंने ह्यूस्टन लॉ सेंटर यूनिवर्सिटी में LLM में एडमिशन लिया। इसे अच्छे अंकों के साथ पास किया और एक वकील के रूप में फिर से काम करना शुरू किया।