ग्रहण एक खगोलीय अवस्था है। ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य ग्रहण का प्रभाव जन जीवन पर होता है। ग्रहों की चाल के अनुसार सभी 12 राशियों को इसके अच्छे-बुरे प्रभाव झेलने होते हैं। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून, गुरुवार लगेगा।
लखनऊः ग्रहण एक खगोलीय अवस्था है। ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य ग्रहण का प्रभाव जन जीवन पर होता है। ग्रहों की चाल के अनुसार सभी 12 राशियों को इसके अच्छे-बुरे प्रभाव झेलने होते हैं। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून, गुरुवार लगेगा। इसी दिन शनि जयंती और ज्येष्ठ अमावस्या भी है। इस बार का ये सूर्य ग्रहण खास इसलिए है क्योंकि शनि जयंती पर ग्रहण का योग करीब 148 साल बाद बना है। इससे पहले शनि जयंती पर सूर्य ग्रहण 26 मई 1873 को हुआ था।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस वर्ष दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं। कहा जा रहा है कि इस वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण नवंबर के महीने में वहीं दूसरा सूर्य ग्रहण दिसंबर के महीने में लगेगा। पंचांग के अनुसार, वर्ष 2021 का पहला सूर्यग्रहण वट सावित्री व्रत के दिन लगेगा। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसमें सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है और सूर्य का बिम्ब चंद्रमा से छुप जाता है। इस घटना के दौरान, सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं। सूर्य ग्रहण काल में कुछ कार्य वर्जित माने गए हैं।
हालांकि भारत में यह ग्रहण आंशिक तौर पर नजर आएगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में केवल अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में सूर्यास्त के कुछ समय पहले देखा जा सकेगा। ग्रहण उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग तथा यूरोप और एशिया में आंशिक तौर पर दिखाई देगा। वहीं उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में यह सूर्य ग्रहण पूर्ण रूप से नजर आएगा। अगर भारत की बात करें तो यह आंशिक रूप में ही दिखाई देगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूतक काल में कुछ कार्य वर्जित है
ग्रहण में भोजन करना वर्जित होता है।
चाकू या धारदार चीजों का इस्तेमाल न करें।
ग्रहण से पहले पके हुए भोजन में तुलसी पत्ता डालकर रख दें।
ग्रहण के समय में इष्ट देव का पूजन करें, उनके मंत्रों का जप करें।
ग्रहण के समय में घर के मंदिर के कपाट बंद कर दें।
कोई भी नया काम आरंभ न करें ,मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए।
नाखून काटना, कंघी करना वर्जित है।
ग्रहण के समय सोना नहीं चाहिए।
सूर्य ग्रहण में दान करना बेहद शुभ माना गया है।
ग्रहण समाप्त होने के बाद घर की सफाई करें, घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करें।