नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण से जूझ रहे देश के लिए बर्ड फ्लू खौफ का नया सबब बन गया है। देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू से पक्षियों की मौत के बाद सरकारें अलर्ट हैं। मध्य प्रदेश और हिमाचल के एक-एक जिले में चिकन बिक्री पर रोक भी लगा दी गई है। मध्य प्रदेश ने जहां दक्षिणी राज्यों से पोल्ट्री उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी है तो आगर में जिला प्रशासन ने चिकन की बिक्री पर रोक लगा दी है। वहीं, हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिले में एवियन फ्लू की पुष्टि के बाद 4 सब डिविजन को सील कर दिया गया है और इलाके में अंडा, मीट, पोल्ट्री उत्पादों और मछलियों की बिक्री रोक दी गई है। आगर देश का पहला जिला बन गया है जिसने मौजूदा बर्ड फ्लू संकट के बाद चिकन की बिक्री पर रोक लगाई है। यहां बुधवार को 77 कौवे और 8 बगुले मृत मिले हैं। इसके बाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ने अस्थायी रूप से चिकन बिक्री रोक दी है। इससे पहले मालवा और इंदौर में भी बड़ी संख्या में कौवे मरे हुए मिले थे।
केरल और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों से भेजी गई मुर्गे-मुर्गियों की कोई भी खेप अगले 10 दिन तक मध्यप्रदेश की सीमा में दाखिल नहीं हो सकेगी। मध्यप्रदेश सरकार ने हालात की समीक्षा के बाद बर्ड फ्लू के एच5एन8 स्वरूप (स्ट्रेन) की रोकथाम के लिए यह अहम फैसला किया है। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ” केरल और दक्षिण भारत के कुछ अन्य राज्यों में मुर्गे-मुर्गियों में बर्ड फ्लू के लक्षण पाए गए हैं। लिहाजा हमने तय किया है कि इन राज्यों से भेजे गए मुर्गे-मुर्गी अगले 10 दिन तक मध्यप्रदेश में प्रवेश नहीं कर सकेंगे।” उन्होंने बताया कि मुर्गे-मुर्गियों के इस अंतरराज्यीय परिवहन पर रोक को लेकर मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों के प्रशासन को निर्देश जारी किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि बर्ड फ्लू के एच5एन8 स्वरूप को नियंत्रित करने के लिए केरल में मुर्गे-मुर्गियों और बत्तखों को मारना पहले ही शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया, “मैंने बर्ड फ्लू को लेकर राज्य की स्थिति की आज (बुधवार) ही समीक्षा की है। चिंता की कोई जरूरत नहीं है। हम हालात पर बराबर नजर रखे हुए हैं।” उन्होंने बताया, “राज्य में कौओं और कुछ अन्य प्रजातियों के पक्षियों में बर्ड फ्लू के लक्षण पाए गए हैं। लेकिन औचक जांच में राज्य के किसी भी पोल्ट्री फार्म के मुर्गे-मुर्गियों में अब तक यह बीमारी नहीं मिली है।”
उधर हिमाचल में कांगड़ा के डीसी राकेश कुमार प्रजापति ने बताया, ”पिछले सप्ताह कई पक्षी मृत मिले थे। इनके सैंपल को जांच के लिए बरेली और भोपाल भेजा गया था। मंगलवार को एवियन फ्लू की पुष्टि की गई है। लगभग 4 सब-डिविजन को सील कर दिया गया है। हमने अंडों, मांस, पोल्ट्री और फिशरीज की बिक्री को बैन कर दिया है।” केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि चार राज्यों-केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में 12 स्थानों पर एवियन इन्फ्लुएंजा या बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं। बत्तखों, कौओं एवं प्रवासी पक्षियों में बीमारी के और प्रसार को रोकने के लिए परामर्श जारी किया गया है। मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अन्य राज्यों से पक्षियों की असामान्य मौत पर नजर रखने को कहा गया है। बर्ड फ्लू के नए मामले इसलिए भी चिंताजनक हैं क्योंकि अभी कुछ महीने पहले 30 सितंबर 2020 को भारत ने खुद को इस बीमारी से मुक्त घोषित किया था। भारत में बर्ड फ्लू का पहला मामला 2006 में सामने आया था। मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान से नमूनों के संक्रमित होने की पुष्टि के बाद चार राज्यों में 12 स्थानों पर एवियन इन्फ्लुएंजा के मामले सामने आए हैं।
देश में जिन 12 स्थानों पर इस बीमारी के मामले सामने आए हैं, उनमें राजस्थान के बारां, कोटा, झालावाड़ क्षेत्रों और मध्य प्रदेश के मंदसौर, इंदौर और मालवा क्षेत्रों में कौओं में यह बीमारी पाई गई है। वहीं, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों में यह संक्रमण पाया गया है। केरल में कोट्टायम, अलप्पुझा (चार स्थानों) में बत्तखों में यह बीमारी पाई गई है। मंत्रालय ने कहा कि स्थिति पर नजर रखने तथा राज्यों के अधिकारियों द्वारा उठाए जाने वाले एहतियाती और रोकथाम वाले कदमों का दैनिक आधार पर जायजा लेने के लिए नयी दिल्ली में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि भारत में बर्ड फ्लू बीमारी मुख्यत: सर्दी के महीनों-सितंबर-अक्टूबर से फरवरी-मार्च तक देश में आने वाले प्रवासी पक्षियों के माध्यम से फैलती है और मानव के संबंधित चीजों का प्रबंधन करने (संक्रामक पदार्थों के जरिए) इसके द्वितीयक प्रसार की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसने उल्लेख किया, ”भारत में अभी तक मानव में इस संक्रमण की कोई खबर नहीं है, हालांकि बीमारी पक्षियों से मानव में फैल सकती है। इस बारे में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है कि एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस प्रदूषित कुक्कुट उत्पाद खाने से मानव में फैल सकता है।