सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार की एक अपील खारिज कर दी है । इसके साथ ही राज्य के वित्त सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) को 'बहुत अहंकारी' बताया है । उनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ कर दिया है । जिनके खिलाफ हाई कोर्ट ने आदेशों के देरी से और आंशिक अनुपालन के मामले में जमानती वारंट जारी किए थे। मामला इलाहाबाद में एक वसूली अमीन की सेवा नियमित करने और वेतनवृद्धि के भुगतान से जुड़ा है ।
उत्तर प्रदेश सरकार ( Up government ) अपने शीर्ष अधिकारियों को गिरफ्तारी से बचाने शीर्ष अदालत पहुंची थी , लेकिन राज्य सरकार को कोई राहत नहीं मिल सकी और प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने कहा कि आप इसके ही काबिल हैं। इससे भी ज्यादा के।” पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि इस मामले में यहां क्या दलील दे रहे हैं। हाई कोर्ट को अब तक गिरफ्तारी का आदेश दे देना चाहिए था। हमें लगता है कि और अधिक कड़ी सजा दी जानी चाहिए थी। हाई कोर्ट ने आपके साथ उदारता बरती। अपने आचरण को देखिए। आप एक कर्मचारी की वेतनवृद्धि की राशि रोक रहे हैं। आपके मन में अदालत के प्रति कोई सम्मान नहीं है। ये अतिरिक्त मुख्य सचिव बहुत अहंकारी जान पड़ते हैं।
अधिकारियों की तरफ से अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि याचिकाकर्ता भुवनेश्वर प्रसाद तिवारी की सेवा ‘वसूली अमीन’ के रूप में नियमित कर दी गयी हैं और उनसे पहले नियमित किये गये उनके कनिष्ठों को हटा दिया गया है। अब केवल वेतनवृद्धि के भुगतान का मामला शेष है। उन्होंने इस मामले में पीठ से नरम रुख अख्तियार करने का आग्रह किया। नाराज दिख रहे प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सब रिकॉर्ड में है और हम ऐसा कुछ नहीं कह रहे, जो रिकॉर्ड में नहीं है। इसे देखिए अदालत के आदेश के बावजूद अतिरिक्त मुख्य सचिव कहते हैं कि मैं आयु में छूट नहीं दूंगा।