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Cyber Fraud Alert : कोई अपना बनकर करे फोन तो न भेजें UPI PIN, नहीं तो हो जाएंगे साइबर फ्रॉड के शिकार

डिजिटल ट्रांजेक्शन (Digital Transaction) आजकल कर कोई आसानी से कर रहा है, लेकिन इसकी बारीकियों से सभी लोग अंजान हैं। इसी का फायदा उठाकर जालसाज अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की डीपफेक टेक्नोलाजी इस्तेमाल करके लोगों को आसानी से ठगी का शिकार बना रहे हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। डिजिटल ट्रांजेक्शन (Digital Transaction) आजकल कर कोई आसानी से कर रहा है, लेकिन इसकी बारीकियों से सभी लोग अंजान हैं। इसी का फायदा उठाकर जालसाज अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की डीपफेक टेक्नोलाजी इस्तेमाल करके लोगों को आसानी से ठगी का शिकार बना रहे हैं।

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बता दें कि अगर कोई शख्स आपके खाते में रुपये भेजने की बात कहकर आपके अकाउंट का यूपीआई पिन मांगता है तो उसे भूलकर भी न दें। अगर आपने उसे यूपीआई पिन दे दिया तो वह आपके खाते में सेंध लगा सकता है। यूपीआई पिन (UPI PIN)  सिर्फ दो चीजों के लिए इस्तेमाल होता है। पहला दूसरे के खाते में रकम भेजने के लिए और दूसरा अपना अकाउंट चेक करने के लिए। इसके अलावा उसका तीसरा इस्तेमाल नहीं होता है। इसके साथ ही किसी अनजान ऐप को डाउनलोड न करे और किसी अनजान शख्स की ओर से भेजे गए लिंक पर क्लिक न करके भी अपना डेटा व खाता सुरक्षित रख सकते हैं। साइबर सुरक्षा अभियान (Cyber Security Campaign) विषय सोमवार को आयोजित सेमिनार में साइबर एक्सपर्ट्स ने व्यापारियों को ऐसे ही कई सुझाव दिए।

साइबर अपराधों से बचने के अहम तरीके भी बताए

सेमिनार में साइबर सेल (Cyber Cell) के एक्सपर्ट्स ने व्यापारियों को साइबर अपराधियों की ओर से ठगी के लिए अपनाए जा रहे तरीकों की जानकारी देने के साथ उनसे बचने के टिप्स भी दिए। साइबर सेल (Cyber Cell)  के इंस्पेक्टर त्रिवेंद्र पाल सिंह ने बताया कि लालच को त्याग कर, बिना डरे और जागरूक रहकर साइबर अपराधियों का मुकाबला किया जा सकता है। वहीं, साइबर एक्सपर्ट सुनील कुमार ने व्यापारियों को मौजूदा समय लोगों के साथ घटित हो रहे साइबर अपराधों के बारे में जानकारी दी और उनसे बचने के अहम तरीके भी बताए।

उन्होंने बताया कि यूपीआई पिन (UPI PIN) का इस्तेमाल दूसरे के खाते में रुपये भेजने और अपना अकाउंट चेक करने के लिए ही किया जाता है। इसके अलावा उसका तीसरा कोई इस्तेमाल नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी अनजान नंबर से अगर आपके मोबाइल पर कोई ऐप भेजा जाता है तो उसे कभी डाउनलोड न करें। किसी अनजान लिंक से भी दूरी बनाकर रखें तो साइबर जालसाजों से बचे रहेंगे।

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दोस्त, रिश्तेदार या परिचित की आवाज ही नहीं नकली चेहरा बनाकर वीडियो काल कर रहे हैं साइबर जालसाज

दोस्त, रिश्तेदार या परिचित की आवाज ही नहीं नकली चेहरा बनाकर वीडियो काल कर साइबर जालसाज लोगों से ठगी कर रहे हैं। जालसाज अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की डीपफेक टेक्नोलाजी इस्तेमाल करके लोगों से ठगी कर रहे हैं। ठाकुरगंज निवासी आशीष सिंह ने बताया कि उनके पास उनके एक दोस्त के नाम से वीडियो काल आई। साइबर ठग ने एआई डीपफेक फेस स्वैपिंग टेक्नोलाजी के जरिए उसके दोस्त का नकली चेहरा बनाकर वीडियो काल पर बात की। उसने आशीष को यकीन दिला दिया कि वो उसका दोस्त ही है। इसके बाद इमरजेंसी बताकर डेढ़ लाख रुपये मांगे। आशीष ने भी दोस्त समझकर 1.20 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। उसे ठगी का तब अहसास हुआ, जब उसके दोस्त ने ऐसी किसी भी वीडियो काल या रुपये की लेनदेन की जानकारी से इनकार कर दिया। बता दें कि यह पहली बार नहीं है, जब इस तरह का मामला सामने आया हो। पिछले माह जालसाज ने एक युवा की आवाज की एआई से नकल करके उसकी मां के अकाउंट से पैसे उड़ा दिए थे।

किसी भी अंजान खाते में फंड का ट्रांसफर करने के पहले उसे एक बार दोबारा चेक कर लें : एसपी विजिलेंस अरविंद चतुर्वेदी

एसपी साइबर क्राइम डा. त्रिवेणी सिंह (SP Cyber Crime Dr. Triveni Singh) ने बताया कि फ्राड करने वाले जिसका शिकार करना होता है उसकी कुछ जरूरी जानकारी जुटाते हैं जैसे फोटो, वीडियो, आडियो रिकार्डिंग्स। इससे उसकी जैसी लगने वाली डुप्लिकेट आइडेंटिटी तैयार की जाती है। फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से प्रोसेस करके और डीप लर्निंग टेकनीक का इस्तेमाल करके माडल्स बनाए जाते हैं, जो हुबहू डीपफेक कंटेंट तैयार करता है। इसके बाद इस माडल से डीपफेक वीडियो, आडियो बनाया जाता है, जिससे शिकार किया जा सके। एसपी विजिलेंस अरविंद चतुर्वेदी (SP Vigilance Arvind Chaturvedi) ने बताया कि किसी भी अंजान खाते में फंड का ट्रांसफर करने के पहले उसे एक बार दोबारा चेक कर लें।

क्रेडिट कार्ड, ओटीपी, सीवीवी आदि किसी को शेयर न करें

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कभी भी अपनी पर्सनल जानकारी जैसे- क्रेडिट कार्ड, ओटीपी, सीवीवी आदि किसी को शेयर न करें। इंटरनेट मीडिया अकाउंट को प्राइवेट रखें और ये भी देखें कि कोई अनजान व्यक्ति आपके फोटो, वीडियो आदि न देख पाए। इंटरनेट मीडिया पर कोई भी जानकारी या फोटो फारवर्ड करने के पहले एक बार उसकी सत्यता जांच लें। साइबर फ्राड (Cyber Fraud) का शिकार होने की दशा www.cybercrime.gov.in अपनी रिपोर्ट दर्ज कराएं और 1930 पर संपर्क कर सकते हैं।

डीपफेक से बचने के टिप्स

• डीपफेक वीडियो या फोटो में स्किन और शरीर के कुछ हिस्सों में खराबी नजर आना।

• आंखों के चारों ओर छाया दिखना ।

• असामान्य ब्लिंकिंग पैटर्न नजर आना।

• चश्मों पर असामान्य चकाचौंध दिखना ।

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• चेहरे की तुलना में होंठों का नेचुरल रंग अलग होना।

• चेहरे के बाल का चेहरे से मेल नहीं होना।

• दोस्तों व रिश्तेदारों को वीडियो काल कर ठग रहे हैं साइवर अपराधी

ऐसे पहचानें डीपफेक स्कैम

• फोन करने वाले की आवाज थोड़ी बदली हुई होगी।

• फोनकर्ता आपसे पर्सनल और जरूरी जानकारी मांगेगा।

• पैसों की मदद मांगेगा या कुछ अलग बर्ताव करेगा।

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• अगर आप काल वेरीफाई करने के लिए सवाल पूछेगे तो आपको सही जवाब नहीं देगा।

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