नई दिल्ली। कोई समझे तो एक बात कहूं, इश्क तौफीक है कोई गुनाह नहीं..मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी साहब की लिखी ये लाइनें एक दंपति पर सटीक बैठ रहीं हैं। वेलेंटाइन डे के खास मौके पर दंपति ने मोहब्त की ऐसी इबारत लिखी है, जो सदियों तक लोगों के जेहन में गुंजती रहेगी।
ये कहानी है नितू सिंह और योगेश की। योगेश ने अपनी पत्नी के खराब हो चुके लीवर को अपने लीवर से रिप्लेश करा कर सात जन्मों के लिए साथ निभाने के किये गये वादों पर खरा उतरे। हुआ यूं है कि प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत 42 वर्षीय योगेश सिंह की शादी 17 साल पहले नीतू से हुई थी।संयुक्त परिवार में हंसते-खेलते जिंदगी चल रही थी।
आठ महीने से नीतू को पेट में दर्द रहने लगा। जांच कराई तो एक मेडिकल रिपोर्ट ने उनकी जिंदगी में तूफान मचा दिया। नीतू का लिवर जवाब दे गया था। कानपुर में इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दिल्ली लेकर गए, जहां जांच के बाद डाक्टरों ने दो टूक कह दिया-आपकी पत्नी एक महीने की मेहमान हैं। डॉक्टरों ने कहा-फौरन ट्रांसप्लांट न किया तो बस एक-दो महीने की जिंदगी है।
योगेश को लगा-ईश्वर उनके प्यार की परीक्षा ले रहा है। कुछ ही दिन बाद वह लिवर डोनर की टेबल पर सर्जरी करा रहे थे। ट्रांसप्लांट सफल रहा। यह वेलेंटाइन-डे इस जोड़ी के लिए यादगार हो गया है। डाक्टरों ने कहा-ट्रांसप्लांट आखिरी रास्ता है लेकिन इसमें खतरे भी बहुत हैं। लिवर कोई परिजन ही डोनेट कर सकता है।
छोटे भाई यजुवेन्द्र सिंह ने बताया-भाई योगेश ने फैसला लिया कि लिवर वह डोनेट करेंगे। जिसने कभी फोड़े-फुंसी की भी सर्जरी नहीं कराई, वह प्यार की खातिर डोनर टेबल पर जा लेटा। इश्क नाजुक मिजाज होता है ये अक्ल का बोझ नहीं उठा पाता।