आज के दिन लोग अपनी दुकानों, कारखानों और वाहनों की पूजा करते है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि विश्वकर्मा पूजा के दिन घर, दुकान और फैक्ट्रियों में लोहे, वाहन और मशीनों की पूजा की जाती है।
आज विश्वकर्मा पूजा है। आज के दिन आपने देखा होगा टैक्सी, ऑटो और वाहनों को चमकीली और रंग बिरंगी चीजों से खूब सजाया जाता है। उसकी पूजा की जाती है तब इसे चलाया जाता है। हिंदू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है।
आज के दिन लोग अपनी दुकानों, कारखानों और वाहनों की पूजा करते है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला इंजीनियर माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि विश्वकर्मा पूजा के दिन घर, दुकान और फैक्ट्रियों में लोहे, वाहन और मशीनों की पूजा की जाती है। आज के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कारखानों, कंपनियों और वाहन आदि जल्दी खराब नहीं होते है और लंबे समय तक चलते है। साथ ही कारखानों और कंपनियों में पूजा करने भगवान विश्वकर्मा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। बिजनेस और काम में सम्पन्नता आती है।
ये है भगवान विश्वकर्मा की पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। पहला आज सुबह 7 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक। दूसरा मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से दोपहर 3 बजकर 30 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
ये भगवान विश्वकर्मा की पूजा का तरीका
भगवान विश्वकर्मा की पूजा और यज्ञ विशेष विधि विधान से होता है। आज के दिन सुबह स्नान करके साफ सुथरे कपड़े पहनकर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें। अपने कारखानों, कंपनी और गाड़ी वाहनों की सफाई करके। पूजा स्थल की साफ सफाई करें।
इसके बाद गंगाजल छिड़कर पूजा स्थल को पवित्र करें। एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछा लें। इसके बाद पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक चिन्ह बनाएं। भगवान श्री गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें। इसके बाद स्वास्तिक पर चावल और फूल अर्पित करें। फिर उस चौकी पर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
एक चौरस दीपक चौकी पर जलाकर रख लें। फिर भगवान विश्वकर्मा के माथे पर तिलक लगाएं और पूजा शुरु करें। भगवान विश्वकर्मा को फूल, सुपारी, फल और मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद अपनी नौकरी व्यापार में तरक्की की कामना करें। पूजा के दौरान भगवान विश्वकर्मा के इन मंत्रों का जाप करें। ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।