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वाह-रे शिक्षा विभागः जो ग्रुप इंश्योरेंस 2014 में हुआ बंद फिर भी कट रहा प्रीमियम, 8 साल में 208.80 करोड़ रुपये कहां गए किसी को नहीं पता?

उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसको लेकर अब अफसरों ने चुप्पी साध ली है। हाल में हुए ट्रांसफर को लेकर भी शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में है। ऐसे में अब एक और नया मामला सामने आ गया है जिसमें श्क्षिकों के 208.80 करोड़ रुपये कहां गए किसी को नहीं पता?

By टीम पर्दाफाश 
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसको लेकर अब अफसरों ने चुप्पी साध ली है। हाल में हुए ट्रांसफर को लेकर भी शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में है। ऐसे में अब एक और नया मामला सामने आ गया है जिसमें श्क्षिकों के 208.80 करोड़ रुपये कहां गए किसी को नहीं पता?

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दरअसल, बेसिक शिक्षकों के लिए 2014 में बंद की गई ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम के लिए अब भी 87 रुपये प्रीमियम कट रहा है। आठ साल में अब तक करीब 208.80 करोड़ रुपये काटे जा चुके हैं लेकिन इसके बारे में किसी को कुछ जानकारी नहीं है। हालांकि, शिक्षक लगातार पूछ रहे हैं कि बंद इंश्योरेंस स्कीम के लिए आखिर रुपये क्यों काटे जा रहे हैं? शिक्षकों के इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है।

बता दें कि, शिक्षकों और कर्मचारियों की तरह ही बेसिक शिक्षकों का भी ग्रुप इंश्योरेंस होता है। बेसिक शिक्षकों की सैलरी से इंश्योरेंस के प्रीमियम के तौर पर 87 रुपये प्रति माह काटे जाते हैं। कोई हादसा होने पर इसका क्लेम मिलता है। इसमें एक लाख रुपये तक बीमा कवर है। यदि दुर्घटना नहीं होती है तो रिटायरमेंट के बाद पॉलिसी की परिवक्वता राशि मिलती है। हालांकि, एलआईसी ने 2014 से बेसिक शिक्षकों के लिए ये पॉलिसी बंद कर दी।

2014 में ऐडेड माध्यमिक शिक्षकों के लिए भी यह बीमा बंद कर दिया गया। वेतन से होने वाली उनकी कटौती भी बंद हो गई पर बेसिक शिक्षकों की कटौती जारी है। सरकारी आंकड़ों को देखें तो 2014 के बाद से 8 साल में लगभग 2.75 लाख शिक्षक भर्ती हो चुके हैं। हालांकि, कुछ शिक्षकों ने ज्वॉइन नहीं किया। अगर उन आंकड़ों को हटा देते हैं तो करीब संख्या 2.50 लाख पहुंच जाती है। एक शिक्षक का 87 रुपये प्रति माह के हिसाब से साल भर में 1,044 रुपये होते हैं।

आठ साल में यह राशि 8,352 रुपये होती है। इस तरह कुल 2.50 लाख शिक्षकों की अब तक की जमा राशि ही 208.80 करोड़ रुपये बनती है। आठ साल का ब्याज जोड़ लिया जाए तो यह रकम और ज्यादा हो जाएगी। इस मामले में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि, हमने संगठन की ओर से कई बार इस बारे में पता किया। अफसर न तो कुछ बता रहे हैं और न कटौती बंद की जा रही।

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