मुख्यमंत्री ने कहा कि, हमारे देश में तीर्थों की पैदल यात्रा की परंपरा है। हमारे पवित्र तीर्थ में पंचकोसी परिक्रमा, 14 कोसी परिक्रमा, 84 कोसी परिक्रमा और नदियों की भी परिक्रमा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, भारत और दक्षिण कोरिया के संस्कृतिक और आध्यात्मिक सम्बंध शताब्दियों पुराने हैं। इस दृष्टि से आप विदेश में नहीं बल्कि अपने पूर्वजों के घर में आए हैं।
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने भारत-दक्षिण कोरिया (India-South Korea) के राजनयिक संबंधों के पचास वर्ष पूर्ण होने पर कोरिया जोग्ये भिक्षु संघ के अभिनंदन कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की पावन धरा पर हमारे मित्र राष्ट्र दक्षिण कोरिया से पधारे हुए सभी अतिथियों का मैं यूपी सरकार और उत्तर प्रदेश की जनता की ओर से हृदय से स्वागत व अभिनंदन करता हूं।
भारत और दक्षिण कोरिया की स्वतंत्रता दिवस की तिथि एक ही है, यानि 15 अगस्त। दोनों देश जी-20 समूह के सदस्य भी हैं। उत्तर प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां सरकारी स्तर पर संचालित बुद्ध विहार शांति उपवन है, जहां यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। हमारे प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान भी है, जहां शोधार्थी बौद्ध धर्म पर शोध करते हैं।
…आप विदेश में नहीं, बल्कि अपने आध्यात्मिक पूर्वजों के घर आए हैं, अपने गुरु भाइयों से मिलने आए हैं। pic.twitter.com/qCdMSDaoLC
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 22, 2023
मुख्यमंत्री (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कहा कि, हमारे देश में तीर्थों की पैदल यात्रा की परंपरा है। हमारे पवित्र तीर्थ में पंचकोसी परिक्रमा, 14 कोसी परिक्रमा, 84 कोसी परिक्रमा और नदियों की भी परिक्रमा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, भारत और दक्षिण कोरिया के संस्कृतिक और आध्यात्मिक सम्बंध शताब्दियों पुराने हैं। इस दृष्टि से आप विदेश में नहीं बल्कि अपने पूर्वजों के घर में आए हैं।
दक्षिण कोरिया के जोग्ये बौद्ध संघ द्वारा भारत के बौद्ध तीर्थों की 43 दिवसीय पदयात्रा के संपन्न होने पर जोग्ये संघ के सभी सदस्यों का हार्दिक अभिनंदन!
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में भारत व दक्षिण कोरिया के संबंध नई ऊंचाइयां प्राप्त कर रहे हैं। pic.twitter.com/hcT68K8uya
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 22, 2023
कोरिया के ध्यान पंथ श्योन की उत्पत्ति श्रावस्ती के जैतवन से हुई है। उन्होंने कहा कि दो हजार वर्ष पूर्व अयोध्या की राजकुमारी ने जलमार्ग से दक्षिण कोरिया की यात्रा की थी। जहां उनका विवाह राजा किम सुरो के साथ हुआ। वहां उनका नाम हू वांग आंक पड़ा। उन दोनों से कड़क वंश की स्थापना हुई। वर्तमान समय में दक्षिण कोरिया में एक बड़ी आबादी इस वंश से जुड़ी हुई है।