अनपरा -डी उन्नाव 765 केवी ट्रांसमिशन लाइन को ओबरा-सी से जोडने के लिए बनाई गई लाइन पर गलत तरीके से स्थापित किए गए लाइन रिएक्टर की वजह से 1200 करोड रुपए से तैयार ट्रांसमिशन लाइन पिछले 6 महीने से बंद है। इस मामले में उपभोक्ता परिषद की याचिका पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन (Power Transmission Corporation) के प्रबंध निदेशक से 7 दिन में पूरी रिपोर्ट तलब की है ।
लखनऊ। अनपरा -डी उन्नाव 765 केवी ट्रांसमिशन लाइन को ओबरा-सी से जोडने के लिए बनाई गई लाइन पर गलत तरीके से स्थापित किए गए लाइन रिएक्टर की वजह से 1200 करोड रुपए से तैयार ट्रांसमिशन लाइन पिछले 6 महीने से बंद है। इस मामले में उपभोक्ता परिषद की याचिका पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन (Power Transmission Corporation) के प्रबंध निदेशक से 7 दिन में पूरी रिपोर्ट तलब की है । इसी बीच मामले की गंभीरता को देखते हुए एक नया खुलासा सामने आया है ।
उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन (Power Transmission Corporation) के निदेशक वर्क्स एंड प्रोजेक्ट ने अडानी ग्रुप (Adani Group) की ओबरा -सी बदायूं ट्रांसमिशन लिमिटेड (Obra -C Badaun Transmission Limited) को एक अर्जेंट पत्र भेजा गया है, जिसमें इस बात का खुलासा किया गया है कि गलत रिएक्टर लगाने की पूरी जिम्मेदारी अडानी ग्रुप यानी ओबरा -सी बदायूं ट्रांसमिशन लिमिटेड (Obra -C Badaun Transmission Limited) की है। ऐसे में ओबरा सी बदायूं ट्रांसमिशन लिमिटेड तत्काल रिएक्टर को सही जगह स्थापित कराए जिसस 765 केवी की ट्रांसमिशन लाइन चालू हो सके ।
जब तक कंपनी द्वारा ऐसा नहीं किया जाता तब तक इस कार्य को इनकंप्लीट माना जाएगा क्योंकि टैरिफ बेस कंपटेटिव वेडिंग (TBCB) के माध्यम से यह कार्य अडानी ग्रुप (Adani Group) को करना था इसलिए पूरी जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। ऐसे में पावर ट्रांसमिशन व पावर कारपोरेशन का जो भी नुकसान होगा। उसकी समस्त जिम्मेदारी अडानी ग्रुप (Adani Group) की होगी और देरी के लिए भी वही जिम्मेदार होंगे । पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन (Power Transmission Corporation) की तरफ से पत्र की एक कॉपी अडानी ग्रुप (Adani Group) के वाइस प्रेसिडेंट को भी भेजा गया है ।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा सबसे बडा सवाल यह है अनपरा डी सहित अन्य उत्पादन इकाइयां जो आपने फुल लोड पर नहीं चल पा रही है। क्योंकि ट्रांसमिशन लाइन बंद होने की वजह से बिजली निकासी का संकट खडा हो गया है। ऐसे में पावर कारपोरेशन अन्य स्रोतों से महंगी बिजली खरीद कर रहा है । सबसे पहले उसका आंकलन कराया जाना चाहिए क्योंकि उसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है । अभी तक का आंकलन किया जाए तो करोडों रुपए का नुकसान हुआ है और दूसरी तरफ बिजली की आपूर्ति भी बाधित हुई है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा जिस प्रकार से 765 केवी की संवेदनशील ट्रांसमिशन लाइन के मामले में एक निजी कंपनी द्वारा गंभीर उदासीनता बरती गई। जैसा की पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ने स्वता खुलासा किया है या अपने आप में बहुत गंभीर मामला है। ऐसे में आने वाले समय में डायरी बेस्ट कॉम्पिटेटिव टेंडर के माध्यम से ट्रांसमिशन में जो भी कार्य कराए जा रहे हैं। उस पर रोक लगाया जाना चाहिए। जिस प्रकार से निजी निधि घराने टेंडर को हथिया लेते हैं और फिर इस प्रकार की गंभीर तकनीकी अनियमितता करते हैं। वह अपने आप में बहुत गंभीर मामला है। इसके पहले आइसोलक्स का मामला सामने आ चुका है ।
अब इतनी बडी तकनीकी उदासीनता से यह स्पष्ट हो गया है कि निजी कंपनियों को ट्रांसमिशन में इंटर कराना आने वाले समय के लिए एक बहुत बडी परेशानी का सबब बन सकता है । ऐसे में अभी भी समय है । सरकार व उत्तर प्रदेश पावर प्रबंधन को इस पूरे मामले पर गंभीर विचार करना चाहिए। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा आने वाले समय में जो विद्युत नियामक आयोग के सामने पूरी रिपोर्ट प्राप्त होगी । उसके बाद इस पूरे मामले में बडा खुलासा होना तय है । एक बात तो साफ हो गई है की अडानी ग्रुप पूरे मामले में अपनी मनमानी कर रहा है। पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन चाह कर भी उसके खिलाफ कुछ नहीं कर रहा है। अभी कोई दूसरी कंपनी होती तो अब तक उस पर बडी कार्यवाही हो गई होती ।