नई दिल्ली: हमारे सभ्य समाज से दूर एक ऐसा भी समाज है जिन्हे हम किन्नर कहते है। हमारे सामाजिक दायरे से दूर इन्हे हमारे समाज वाले काफी गंदी नजरों से देखते है। कोई इन्हें अपने आसपास पसन्द नही करता. समाज से बहुत दूर कहीं जाकर ये अपनी एक अलगी ही दुनिया बसाते है. ये लोग न तो किसी भी जगह कोई जॉब कर सकते है और न ही किसी के घर में मेहनत मजदूरी करके कुछ पैसा कमा सकते है।
हमारे समाज से जिल्लत और बेआबरू की ठोकर खा कर मजबूरी में चलते फिरते लोगों से ही पैसे मांग कर अपना जीवन यापन करते हैं। लोग किन्नरों को अपने समाज के लिए एक अभिशाप समझते है। किन्नरों को लोग ट्रांसजेंडर के नाम से भी जानते है। ट्रांसजेंडर दो शब्दों से मिलकर बना है Trans और Gender. Trans का मतलब होता है Opposite यानी उल्टा और Gender का मतलब होता है लिं’ग। ट्रांसजेंडर या ट्रांस सेक्सु-अल दो तरह के होते हैं।
पहले वह जो मानसिक रूप से ट्रांसजेंडर होते हैं मतलब ऐसे लोग जिनका जन्म मर्द या औरत के रूप में होता है लेकिन मानसिक तौर पर वह खुद को उसका उल्टा महसूस करते हैं। ऐसा उनके साथ हार्मोनल प्रॉब्लम की वजह से होता है। इंसानो में हार्मोनल प्रॉब्लम की वजह से वह खुद का सेकेंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर उबार ही नहीं पाते जिससे मर्द औरत और औरत मर्द की तरह दिखने लगता है। दूसरे वो जिनका जन्म ही कुछ विशेष गुणों के साथ होता है।
अभी हाल ही में इस विषय के बारे में वैज्ञानिकों ने इसके कारण का एक खुलासा किया है, जिसे जानना हर एक मां-बाप के लिए बहुत जरूरी है। ऐसी ही मुख्य वजह के बारे में वैज्ञानिकों ने बताया है जिससे गर्भ में पल रहा बच किन्नर का रूप ले लेता है। असल में एक मां असल में तो बच्चे को ही जन्म देती है, लेकिन बच्चा कुछ परिस्थितियों में आम न रहकर किन्नर का रूप ले लेता है। ऐसे हालत में जिन्दगी भर ये बच्चा माता-पिता के पास न रहते हुए किन्नर समाज को सौंप दिया जाता है।
आपको शायद पता नहा हो कि किन्नरों का जननांग जन्म से लेकर मृत्यु परांत एक जैसा ही रहता है। यूं कहें कि इनके जननांग कभी विकसित नहीं होते। किन्नरों के अंदर एक अलग गुण पाए जाते हैं। इनमे पुरुष और स्त्री दोनों के गुण एक साथ पाए जाते हैं।
इनका रहन-सहन, पहनावा और काम-धंधा भी इन दोनों से भिन्न होता है। आपको बताते चलें कि आज से नहीं सदियों से किन्नरों के जन्म की परंपरा चलती आई है। लेकिन आज तक यह पता नहीं लगाया जा सका है कि आखिरकार किन्नरों का जन्म क्यों होता है।
अगर बात करें ज्योतिष शास्त्र और पुराणों की तो किन्नरों के जन्म को लेकर इनके भी कई अलग-अलग दावे हैं। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो बच्चे के जन्म के बक्त उनकी कुंडली के अनुसार अगर आठवें घर में शुक्र और शनि विराजमान हो और जिन्हें गुरु और चंद्र नहीं देखता है तो व्यक्ति नपुंसक हो जाता है और उसका जन्म किन्नरों में होता है।
क्योंकि कुंडली के अनुसार शुक्र और शनि के आठवें घर में विराजमान होने से से’क्स- में प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। वहीं ज्योतिष शास्त्र की अगर मानें तो इससे भी बचाव का एक तरीका है। जिसमें इस परिस्थिति के समय अगर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि अगर व्यक्तियों पर पड़ता है तो बच्चा नपुंसक नहीं पैदा होता।
तो किन्नरों के पैदा होने पर ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि चंद्रमा, मंगल, सूर्य और लग्न से गर्भधारण होता है। जिसमें वीर्य की अधिकता होने के कारण लड़का और रक्त की अधिकता होने के कारण लड़की का जन्म होता है। लेकिन जब गर्भधारण के दौरान रक्त और विर्य दोनों की मात्रा एक समान होती है तो बच्चा हिजड़ा पैदा होता है।
वहीं किन्नरों के जन्म लेने का एक और कारण माना जाता है। जिसमें कई ग्रहो को इसका कारण बताया गया है। शास्त्र की अगर मानें तो किन्नरों की पैदाइश अपने पूर्व जन्म के गुनाहों के वजह से होता है। पुराणों की बात करें तो किन्नरों के होने की बात पौराणिक कथाओं में भी है। पौराणिक कथाओं को अगर माने तो अर्जुन कि भी गिनती कई महीनों तक किन्नरों मे की जाती थी। मुगल शासन की बात करें तो उस वक्त भी किन्नरों का राज दरबार लगाया जाता था।