HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. अखिलेश यादव ने मायावती का फोन उठाना बंद कर दिया था! बसपा सुप्रीमो का सपा से गठबंधन टूटने पर बड़ा खुलासा

अखिलेश यादव ने मायावती का फोन उठाना बंद कर दिया था! बसपा सुप्रीमो का सपा से गठबंधन टूटने पर बड़ा खुलासा

UP Politics News: साल 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने एक साथ चुनाव लड़ा था। इसी चुनाव के बाद दोनों पार्टियों के रास्ते अलग हो गए थे। लेकिन, अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा से गठबंधन टूटने को लेकर बड़ा खुलासा किया है। मायावती का दावा किया है कि बसपा की ज्यादा सीटें आने से अखिलेश यादव नाराज थे, इसलिए उन्होंने बसपा सुप्रीमो का फोन उठाना बंद कर दिया था। 

By Abhimanyu 
Updated Date

UP Politics News: साल 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने एक साथ चुनाव लड़ा था। इसी चुनाव के बाद दोनों पार्टियों के रास्ते अलग हो गए थे। लेकिन, अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा से गठबंधन टूटने को लेकर बड़ा खुलासा किया है। मायावती का दावा किया है कि बसपा की ज्यादा सीटें आने से अखिलेश यादव नाराज थे, इसलिए उन्होंने बसपा सुप्रीमो का फोन उठाना बंद कर दिया था।

पढ़ें :- यूपी सरकार महिलाओं के सम्मान, सशक्तिकरण व स्वावलंबन के लिए संकल्पित होकर कर रही है कार्य : प्रियंका मौर्या

दरअसल, मायावती की ओर से एक बुकलेट उपचुनाव और 2027 विधानसभा के लिए पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बांटी जा रही है। पिछले दिनों लखनऊ में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बसपा सदस्यों को 59 पन्नों की अपील वितरित की गई। इस बुकलेट में मायावती ने सपा के साथ दो बार हुए गठबंधन के टूटने की वजह बताई है। जिसमें पहली बार गठबंधन टूटने की वजह को लखनऊ गेस्ट हाउस कांड बताया गया है, दूसरी बार सपा के वरिष्ठ नेताओं (अखिलेश यादव) की ओर से मायावती का फोन न उठाया जाना।

बुकलेट में मायावती ने कहा है कि 2019 लोकसभा चुनाव में सपा को पांच सीटें मिलीं। वहीं बसपा को 10 सीटें मिलीं। उन्होंने कहा कि यही बड़ी वजह बन थी कि सपा के वरिष्ठ नेताओं ने फोन उठाना बंद कर दिया था। माना जा रहा है कि मायावती इस बुकलेट के जरिए 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करना चाह रही हैं। साथ बसपा सुप्रीमो ने अपनी अपील में सपा के साथ गठबंधन को फिर से याद किया, जिसकी शुरुआत 1993 में हुई जब कांशीराम ने मुलायम सिंह यादव के साथ गठबंधन किया था।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...