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अखिलेश ने चली बड़ी चाल, बोले- बाबा साहब व लोहिया के सिद्धांतों पर चलने वाले लोग संविधान और लोकतंत्र बचाने का करें काम

सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुरुवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐसा बयान दे डाला है। जिसके बाद प्रदेश केे सियासी हलकों में चर्चा का बाजार एक बार फिर गर्म हो गया है। राजनीतिक पंडित तो कहना शुरू कर दिया है कि क्या अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर मायावती की पार्टी बीएसपी के साथ गठबंधन की तैयारी कर रहे हैं?

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। सपा (SP)के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुरुवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने ऐसा बयान दे डाला है। जिसके बाद प्रदेश केे सियासी हलकों में चर्चा का बाजार एक बार फिर गर्म हो गया है। राजनीतिक पंडित तो कहना शुरू कर दिया है कि क्या अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर मायावती (Mayawati) की पार्टी बीएसपी (BSP)के साथ गठबंधन की तैयारी कर रहे हैं?

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बता दें कि सपा (SP)के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुरुवार को उन्होंने जो कहा उससे तो यही कयास लगाए जा रहे हैं। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)  ने दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान एक बार फिर मायावती (Mayawati) पर निजी हमला नहीं किया और न ही बसपा को लेकर टिप्पणी की। इसके अलावा उन्होंने लोहियावादियों और आंबेडकरवादियों को साथ लेकर चलने की भी बात कही। अंबेडकरवादियों को साथ लेकर चलने की बात को मायावती (Mayawati) संग एक बार फिर से गठबंधन के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है।

अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)  ने इससे पहले बुधवार को भी बीएसपी (BSP)या फिर मायावती (Mayawati) पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। इतना जरूर कहा था कि हमने 2019 में बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जो त्याग करना था, वह भी किया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एक बार फिर से वह बसपा (BSP) को साथ लेकर त्याग और सहयोग की भावना दिखाएंगे? बता दें कि 2019 के आम चुनाव में सपा (SP)और बसपा (BSP) ने गठबंधन किया था। दोनों को 15 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन अकेले बसपा (BSP) के खाते में ही 10 सीटें थीं। इसी पर दोनों दलों के बीच विवाद शुरू हो गया था और अंत में एक बार फिर से यह ऐतिहासिक गठबंधन टूट गया।

वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो सपा ने 37 फीसदी का ऐतिहासिक वोट हासिल किया, लेकिन तब भी सत्ता से दूर रह गई। वहीं बसपा (BSP) को महज एक सीट ही मिली और उसने अपने इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन किया। इसके बाद भी उसे 12 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में यदि सपा (SP)और बसपा (BSP) के वोटों को मिला लिया जाए तो यह 49 फीसदी हो जाता है। शायद अखिलेश (Akhilesh ) इसी वजह से मायावती (Mayawati) और बीएसपी (BSP) के प्रति उदार हैं ताकि 12 फीसदी का भी साथ मिल जाए तो वह 2024 में अच्छा परिणाम दे सकते हैं।

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