भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) के जन्म लेने में अब कुछ ही घंटे शेष बचा है। श्रीकृष्ण का अवतार द्वापर युग (Dwapar Yuga) में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha of Bhadrapada month) की अष्टमी तिथि (Ashtami Tithi) में हुआ था। उस समय चंद्र उच्च राशि वृषभ में था। उस दिन रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) था। यह संयोग ही है इस बार भी ग्रह-नक्षत्रों के अनूठे योग से श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग के समय बने दुर्लभ संयोगों (Rare Coincidences) में होगा। जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा-अर्चना मध्य रात्रि में की जाती है।
लखनऊ। भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) के जन्म लेने में अब कुछ ही घंटे शेष बचा है। श्रीकृष्ण का अवतार द्वापर युग (Dwapar Yuga) में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha of Bhadrapada month) की अष्टमी तिथि (Ashtami Tithi) में हुआ था। उस समय चंद्र उच्च राशि वृषभ में था। उस दिन रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) था। यह संयोग ही है इस बार भी ग्रह-नक्षत्रों के अनूठे योग से श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग के समय बने दुर्लभ संयोगों (Rare Coincidences) में होगा। जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा-अर्चना मध्य रात्रि में की जाती है।
दिनभर रहेगा सर्वार्थ सिद्धि योग व रोहिणी नक्षत्र
ज्योतिषियों की मानें तो श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में हुआ था। इस बार सोमवार को अष्टमी तिथि के साथ सुबह 6ः39 बजे से अगले दिन सुबह 9ः44 बजे तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा सर्वार्थसिद्धि योग के साथ ही इस दिन चंद्रमा वृष राशि में रहेगा। साथ ही मध्य रात्रि में सभी नौ ग्रह केंद्र त्रिकोण का योग बनाएंगे। यह संयोग आमजन के साथ ही व्यापारी वर्ग के लिए श्रेष्ठ साबित होगा। चंद्रमा के केंद्र में त्रिकोण में स्थित होने से द्वापर युग जैसा ही दुर्लभ संयोग बनेगा। इसके अलावा इस बार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय चंद्रमा और बुध उच्च राशि में तथा सूर्य और शनि स्वराशि में रहेंगे। इसके अलावा वृषभ राशि में चंद्रमा संचार करेगा। इस दुर्लभ संयोग के कारण जन्माष्टमी का महत्व और बढ़ रहा है।
वैसे भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में अष्टमी व अर्द्धचंद्र की बहुत महत्ता है। क्योंकि यह दृश्य एवं दृष्टा अर्थात दिखने वाले भौतिक जगत एवं अदृश्य आध्यात्मिक जगत के वास्तविक पहलुओं के बीच उत्तम संतुलन को दर्शाता है। अष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इस बात को दर्शाता है कि उनका आध्यात्मिक एवं भौतिक दोनों जगत में आधिपत्य था। श्री कृष्ण को द्वापर युग का युगपुरुष कहा गया है। सनातन धर्म के अनुसार वे विष्णु के आठवें अवतार है। जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि भी कहा गया है। इस रात में योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान अथवा मंत्र जपने से संसार की मोह माया से आसक्ति हटती है। जन्माष्टमी व्रत के सुविधि पालन से अनेक व्रतों से प्राप्त होने वाली महान पुण्य की प्राप्ति होती है। सर्वविदित है कि भादों माह की षष्ठी को बलराम और अष्टमी को भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस माह में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
सूर्य और मंगल के मिलन से होगा आर्थिक लाभ, बढ़ेगी कीर्ति
ज्योतिष गणनाओं के अनुसार इस साल जन्माष्टमी पर्व सूर्य और मंगल का अद्भुत संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य और मंगल दोनों ही सिंह राशि में एक साथ विराजमान रहेंगे। ऐसे में दो राशि वालों को शुभ फल की प्राप्ति होगी। आर्थिक लाभ के योग बनेंगे। वृश्चिक राशि वालो को किसी नए काम की शुरुआत के लिए सूर्य का गोचर करना लाभकारी रहेगा। प्रमोशन या आर्थिक लाभ के भी योग बनेंगे। नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ समाचार मिल सकता है। इस राशि के लोगों को विभिन्न कार्यों में सफलता मिलेगी। उनकी नौकरी और व्यापार के लिए भी शुभ समय है। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों को शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। लेन- देन के लिए समय शुभ रहेगा। परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करेंगे। दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। मान- सम्मान में बढ़ोतरी होगी। मिथुन राशि वालों को परिवार से शुभ समाचार मिल सकता है। धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत बनेगा। व्यवसाय में लाभ के योग बनेंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ रहेगा। आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना होगी। जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा। मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। दांपत्य जीवन में सुख का अनुभव करेंगे।