आज यानी 13 अप्रैल को पूरे देश में बैसाखी पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हालांकि, ये पर्व सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। इस पर्व को फसलों के काटने की शुरुआत करके मनाया जाता है।
Baisakhi 2025 : आज यानी 13 अप्रैल को पूरे देश में बैसाखी पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हालांकि, ये पर्व सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। इस पर्व को फसलों के काटने की शुरुआत करके मनाया जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार,यह वैशाख सौर मास का प्रथम दिन होता है। खुशियों और उत्साह से भरे इस त्योहार पर पवित्र नदी में स्नान का बहुत महत्व है। बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे मेष संक्रांति कहा जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में मेष राशि को अग्नि तत्व की राशि कहा जाता है और सूर्य भी अग्नि तत्व के ग्रह हैं। बैसाखी पर्व मनाकर लोग प्रकृति द्वारा दिए गए उपहारों के लिए धरती का धन्यवाद करते हैं और आभार प्रकट करते हैं। किसान अपनी कृषि भूमि से आशीर्वाद मांगते हैं और मौसम की अपनी पहली फसल की कटाई शुरू करते हैं।बैसाखी का त्यौहार शुद्ध हृदय और बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
पंजाब में कई सदियों से बैसाखी मनाई जा रही है। सिख साहित्य के अनुसार, यह दिन उनके दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के जन्मदिन का प्रतीक है, जिन्होंने वर्ष 1699 में सिख भाईचारे, ‘खालसा’ की नींव रखने के लिए इस दिन को चुना था।
बैसाखी एक उज्ज्वल और जीवंत त्योहार है। लोग खुशी में नाचते हैं, गाते हैं, साथ में खाते हैं, कार्निवल का आयोजन करते हैं, और परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर जश्न मनाते है।
बैसाखी का पर्व हमें एकता और भाईचारे का संदेश देता है। ऐसे में छात्रों को इसे अपनाना चाहिए और हर किसी के साथ अच्छे से और भाईचारे के साथ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए. हालांकि, ये संदेश तो हमारे देश के अधिकतर पर्व देते हैं।