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Bharatiya Nyaya Sanhita : आईपीसी की कुछ अहम धाराओं के बदलाव के बारे में, जानें नए कानून से और क्या बदलेगा?

Bharatiya Nyaya Sanhita : संसद (Parliament) द्वारा हाल ही में पारित तीन विधेयकों ने अब कानून का रूप ले लिया है। देश में अंग्रेजों के जमाने के इन आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले तीन संशोधन विधेयकों को बीते सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने मंजूरी दे दी।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Bharatiya Nyaya Sanhita : संसद (Parliament) द्वारा हाल ही में पारित तीन विधेयकों ने अब कानून का रूप ले लिया है। देश में अंग्रेजों के जमाने के इन आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले तीन संशोधन विधेयकों को बीते सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने मंजूरी दे दी। तीनों नए कानून अब भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita ) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bharatiya Sakshya Adhiniyam) (1872) का स्थान लेंगे।

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बता दें कि कानूनों में बदलाव के साथ ही इनमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है। आइये जानते हैं आईपीसी (IPC) की कुछ अहम धाराओं के बदलाव के बारे में? अब इन्हें किस क्रम में रखा गया है? वे पहले किस स्थान पर थीं?

जानें भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) में क्या बदला है?

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है। 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।

बता दें कि भारतीय न्याय संहिता-2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita-2023) , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita-2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam- 2023) को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने इसी साल अगस्त में पेश किए गए पिछले संस्करणों को वापस लेते हुए संसद के निचले सदन में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को फिर से पेश किया था। इन विधेयकों को लोकसभा ने 20 दिसंबर को और राज्यसभा ने 21 दिसंबर को मंजूरी दे दी। राज्यसभा में विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah)  द्वारा पेश किए जाने के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया था। अब सोमवार यानी 25 दिसंबर को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए। संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।

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अब जानते हैं अहम धाराओं में बदलाव

धारा 124: आईपीसी (IPC) की धारा 124 राजद्रोह से जुड़े मामलों में सजा का प्रावधान रखती थी। नए कानूनों के तहत ‘राजद्रोह’ को एक नया शब्द ‘देशद्रोह’ मिला है यानी ब्रिटिश काल के शब्द को हटा दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) में अध्याय 7 में राज्य के विरुद्ध अपराधों कि श्रेणी में ‘देशद्रोह’ को रखा गया है।

धारा 144: आईपीसी (IPC) की धारा 144 घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होना के बारे में थी। इस धारा को भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita)  के अध्याय 11 में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अब भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita)  की धारा 187 गैरकानूनी सभा के बारे में है।

धारा 302: पहले किसी की हत्या करने वाला धारा 302 के तहत आरोपी बनाया जाता था। हालांकि, अब ऐसे अपराधियों को धारा 101 के तहत सजा मिलेगी। नए कानून के अनुसार, हत्या की धारा को अध्याय 6 में मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध कहा जाएगा।

धारा 307: नए कानून के अस्तित्व में आने से पहले हत्या करने के प्रयास में दोषी को आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा मिलती थी। अब ऐसे दोषियों को भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी। इस धारा को भी अध्याय 6 में रखा गया है।

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धारा 376: दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को पहले आईपीसी (IPC) की धारा 376 में परिभाषित किया गया था। भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है। नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है। वहीं सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376 डी को नए कानून में धारा 70 में शामिल किया गया है।

धारा 399: पहले मानहानि के मामले में आईपीसी (IPC) की धारा 399 इस्तेमाल की जाती थी। नए कानून में अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि, आदि में इसे जगह दी गई है। मानहानि को भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita)  की धारा 356 में रखा गया है।

धारा 420: भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita)  में धोखाधड़ी या ठगी का अपराध 420 में नहीं, अब धारा 316 के तहत आएगा। इस धारा को भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita)  में अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के विरूद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है।

सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम कैसे बदल गए?

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) यानी सीआरपीसी (CRPC) की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita-2023) ने ले ली है। सीआरपीसी की 484 धाराओं के बदले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) में 531 धाराएं हैं। नए कानून के तहत 177 प्रावधान बदले गए हैं जबकि नौ नई धाराएं और 39 उपधाराएं जोड़ी हैं। इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है। वहीं, नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं। इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे। नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं।

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