बॉलीवुड फेमस एक्टर कॉमेडियन निर्माता निर्देशक सतीश कौशिक आज अपना 65 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहें हैं। मूवी में सह कलाकार और कॉमेडियन की भूमिका निभाने वाले सतीश कौशिक बॉलीवुड के दमदार एक्टर में से एक कहे जाते है। चाहे किरदार गंभीर हो या फिर कॉमिक हर रोल में सतीश कौशिक अपने अभिनय से जान भर देते हैं।
नई दिल्ली: बॉलीवुड फेमस एक्टर कॉमेडियन निर्माता निर्देशक सतीश कौशिक आज अपना 65 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहें हैं। मूवी में सह कलाकार और कॉमेडियन की भूमिका निभाने वाले सतीश कौशिक बॉलीवुड के दमदार एक्टर में से एक कहे जाते है। चाहे किरदार गंभीर हो या फिर कॉमिक हर रोल में सतीश कौशिक अपने अभिनय से जान भर देते हैं।
आपको बता दें, वर्ष 1983 में मूवी मौसम से उन्होंने अपने करियर की शुरूआत की थी। इसके उपरांत उन्होंने मूवीज में एक से बढ़कर एक किरदार निभाए। हालांकि उनके दमदार किरदारों की लिस्ट बहुत लंबी हैं। वहीं, सतीश कौशिक के डायरेक्शन की बात की जाए तो उन्होंने ‘रूप की रानी चोरों का राजा’, ‘बधाई हो बधाई’, ‘तेरे नाम’, ‘क्यों कि’, ‘हम आपके दिल में रहते हैं’, ‘मुझे कुछ कहना है’, ‘हमारा दिल आपके पास है’ और ‘कागज’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है।
सतीश कौशिक निर्देशक और एक्टर ही नहीं बल्कि उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों का निर्माण भी किया। आज सतीश कौशिक के जन्मदिन के अवसर पर उनके उन दिनों की बात बताते हैं, जब सतीश कौशिक ने अपने परिवार वालों के सामने फिल्मों में काम करने की इच्छा जताई थी, तब उनका क्या हाल हुआ था।
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सतीश कौशिक तीन बहन-भाई हैं। सतीश कौशिक के परिवार का फिल्मों से दूर दूर से कोई नाता नहीं रहा है। सतीश कौशिक ने जब अपने बड़े भाई के सामने पहली बार यह बात रखी कि वह एक्टर बनना चाहते हैं तो वह काफी गुस्सा हो गए थे। एक बार सतीश कौशिक ने उनसे कहा कि मैं बॉम्बे जा रहा हूं, मुझे एक्टिंग के अलावा कुछ और नहीं करना। यह सुनकर उनके बड़े भाई इतना गुस्सा हुए कि उनके सामने चारपाई पड़ी थी, वह उन्होंने सतीश कौशिक के सामने फेंक कर मारी। साथ ही सामने रखी दही की प्लेट भी उन्होंने सतीश कौशिक के मुंह पर दे मारी थी।
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इसके बाद उन्होंने गुस्से में सतीश से कहा कि तू एक्टर बनेगा। सतीश कौशिक ने भी अपने मुंह से दही हटाकर कहा- बनूंगा तो एक्टर ही, वरना कुछ नहीं बनूंगा। काफी समय तक सतीश कौशिक के घर में यही चलता रहा। वह जब भी एक्टर बनने की बात करते तो उनके बड़े भाई आगबबूला हो जाते थे।
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आखिरकार एक दिन ऐसा आया जब सतीश कौशिक ने बॉम्बे जाने का फैसला कर डाला। 9 अगस्त, 1979 को रक्षा बंधन के दिन बहनों से राखी बंधवाने के बाद सतीश कौशिक ने बॉम्बे जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। सतीश के स्टेशन तक पहुंचने तक उनके भाई ने खूब कोशिश की कि वह उन्हें रोक लें, लेकिन वह सतीश कौशिक को नहीं रोक पाए। आखिर में हारकर उन्होंने कहा- गुड लक।