मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन में 28 मई को तेज आंधी तूफान के साथ जोरदार बारिश हुई, जिसके चलते महाकालेश्वर मंदिर कॉरीडोर (Mahakal Corridor) में स्थापित सप्त ऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां गिर गईं। हालांकि इस दौरान कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन वहा मौजूद श्रद्धालु बाल बाल बचे, तो वहीं महाकाल लोक में हुए गुणवत्ताहीन निर्माण की पोल भी खुल गई।
मध्य प्रदेश। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन में 28 मई को तेज आंधी तूफान के साथ जोरदार बारिश हुई, जिसके चलते महाकालेश्वर मंदिर कॉरीडोर (Mahakal Corridor) में स्थापित सप्त ऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां गिर गईं। हालांकि इस दौरान कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन वहा मौजूद श्रद्धालु बाल बाल बचे, तो वहीं महाकाल लोक में हुए गुणवत्ताहीन निर्माण की पोल भी खुल गई।
इसके बाद तो कांग्रेस की बांछे खिल गईं। पार्टी को लगता है कि चुनावी सूबे में उसके हाथ मनमाफिक मुद्दा लग गया है। कांग्रेस मूर्तियों का चीन से कनेक्शन जोड़ने के साथ गुजरात को भी इस मामले में लपेट रही है। उसका कहना है कि बीजेपी ने सप्त ऋषियों को जो मूर्तियां बनवाईं वो चीन से बनी थीं। वहीं इन्हें बनाने का टेंडर गुजरात की फर्म को मिला था।
खास बात है कि कर्नाटक में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 40 फीसदी कमीशन को मुद्दा बनाकर जीत हासिल की। उसे लगता है कि महाकालेश्वर मंदिर कॉरीडोर में स्थापित सप्त ऋषियों की मूर्तियों में बीजेपी ने 50 फीसदी की कमीशनखोरी की। तभी लोगों की आस्था को गहरी चोट लगी। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने कमीशन खोरी में भगवान को भी नहीं छोड़ा। बकौल कांग्रेस ये लोगों की आस्था पर एक बड़ा कुठाराघात है।
महाकालेश्वर मंदिर कॉरीडोर का उद्घाटन बीते साल अक्टूबर माह में खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था। बीजेपी ने जोरशोर से इसका प्रचार किया था। PMO के मुताबिक कॉरीडोर का कुल बजट 850 करोड़ है। हालांकि कॉरीडोर को बनाने का श्रेय बीजेपी के साथ कांग्रेस भी लेती रही है। मप्र के सीएम रह चुके कमलनाथ का कहना है कि 2019 में उनके कार्यकाल में इस प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार हुई थी। इसका बजट तब 300 करोड़ रखा गया था।
कमलनाथ की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने लगाए तीखे आरोप
महाकाल में गिरी मूर्तियों के बाद कमलनाथ ने एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी भी बना दी। कमेटी के सदस्य रहे पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने बताया कि बीजेपी की शिवराज सरकार ने मूर्तियों को चीन से बनवाया। उनका कहना है कि वैसे बीजेपी चीन में बने सामान के बहिष्कार की बात करती है अलबत्ता महाकाल कॉरीडोर की मूर्तियां बनवाने में जो मैटिरियल इस्तेमाल किया गया वो चीन में तैयार किया गया था। उनका कहना है कि मूर्तियों को बनाने में (FRP) फाइबर रेनफोर्स्ट प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया था। ये मैटिरियल काफी घटिया किस्म का होता है।
कांग्रेस के आरोपों के बाद बैकफुट पर बीजेपी
कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी की शिवराज सरकार बैकफुट पर है। अर्बन डेवपलमेंट और हाउसिंग महकमे के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मूर्तियों के गिरने का बचाव करते हुए कहा कि मूर्ति निर्माण में FRP के इस्तेमाल का फैसला कांग्रेस सरकार ने किया था। बीजेपी के मंत्री ने दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2019 में FRP से 100 मूर्तियां बनाने को मंजूरी दी थी। बीजेपी सरकार प्रोजेक्ट पर 96.97 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। उनका कहना है कि दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर समेत सैंकड़ों मंदिरों में FRP से बनी मूर्तियां स्थापित की गई हैं, क्योंकि ये बेहद हल्की होती हैं।
कांग्रेस विधायक ने की थी लोकायुक्त से शिकायत
खास बात है कि कॉरीडोर का जब पीएम मोदी ने उद्घाटन किया तो उसके तुरंत बाद कांग्रेस विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त को शिकायत देकर प्रोजेक्ट में धांधली की शिकायत की थी। उनका कहना था कि गुजरात की MP Babariya को कॉरीडोर का टेंडर दिया गया था। जबकि उससे कम बिड कई और कंपनियां भी दे रही थीं। परमार का कहना है कि उनकी शिकायत के बाद 15 लोगों को नोटिस दिया गया पर एक्शन कुछ नहीं हुआ।