यूपी पंचायत चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षित नतीजे नहीं मिले हैं। इसके बाद भाजपा अब विधानसभा चुनाव के लिए अभी से सतर्क हो गई है। हालांकि पंचायत चुनाव में भाजपा के कमजोर प्रदर्शन की वजह सरकार के प्रति नाराजगी मानी जा रही है।
लखनऊ। यूपी पंचायत चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षित नतीजे नहीं मिले हैं। इसके बाद भाजपा अब विधानसभा चुनाव के लिए अभी से सतर्क हो गई है। हालांकि पंचायत चुनाव में भाजपा के कमजोर प्रदर्शन की वजह सरकार के प्रति नाराजगी मानी जा रही है। इसके साथ-साथ संगठन के रणनीतिकारों की कमजोरी माना जा रहा है, लेकिन अब संगठन इसकी जिम्मेदारी विधायकों के मत्थे मढ़ने की तैयारी शुरू हो गई है।
बता दें कि सत्ता व संगठन स्तर पर ऐसे विधानसभा क्षेत्रों को चिह्नित किया जा रहा है। जहां भाजपा समर्थित उम्मीदवार ज्यादा हारे है। इसी चुनावी प्रदर्शन को विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे का आधार बनाने की तैयारी है। बता दें कि यूपी पंचायत चुनाव को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमी फाइनल माना जा रहा था, लेकिन नतीजे बहुत उत्साहजनक नहीं रहे। पार्टी सूत्रों की मानें तो चुनाव रणनीतिकार नतीजों की जिम्मेदारी से खुद को बचाने के लिए विधायकों की क्षेत्र में पकड़ कमजोर होने का हथियार इस्तेमाल करने की तैयारी में है।
बता दें कि जिम्मेदार एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश में हैं, पहला यह की खराब नतीजे के लिए विधायक को जिम्मेदार ठहरा दिया जाए। जिससे विधानसभा चुनाव में नए चेहरों को मौका देने के लिए आसान रास्ता निकल जाए। भाजपा नेताओं की इस मंशा को भांपते हुए मातृ संगठन आरएसएस भी चौकन्ना हो गया है।
नए जिताऊ चेहरे की तलाश शुरू
पार्टी के एक सूत्र के मुताबिक पिछले दिनों एक केंद्रीय पदाधिकारी ने सर्वे एजेंसियों के लोगों से कुछ मौजूदा विधायकों के स्थान पर नए व जिताऊ चेहरे तलाशने को लेकर चर्चा की थी। इस चर्चा में यह रणनीति बनी थी कि विधानसभा चुनाव में करीब 40 फीसदी नए चेहरों को मौका दिया जाना चाहिए। अब पार्टी को यूपी पंचायत चुनाव के नतीजों के बहाने पार्टी के विधायकों का टिकट काटने का मजबूत आधार भी मिल गया है।