सौरमंडल में बृहस्पति का विशेष स्थान है। बृहस्पति को देवताओं का गुरु होने का दर्जा प्राप्त है। देवताओं ने इन्हें अपना मार्गदर्शक, शुभचिंतक और आचार्य के रूप में स्वीकार किया है।
Devguru Brihaspati transit: सौरमंडल में देवगुरु बृहस्पति का विशेष स्थान है। बृहस्पति को देवताओं का गुरु होने का दर्जा प्राप्त है। देवताओं ने इन्हें अपना मार्गदर्शक, शुभचिंतक और आचार्य के रूप में स्वीकार किया है। ज्योतिष में, बृहस्पति ग्रह की स्थिति को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। बृहस्पति ग्रह सभी ग्रहों में सबसे अधिक भारी और भीमकाय है। व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति पेशेवर जीवन को प्रभावित करने के लिए जानी जाती है।
बृहस्पति ग्रह धनु एवं मीन में स्वगृही होता है
ज्योतिष शास्त्र के आधार पर बृहस्पति का वर्ण पीला, परंतु नेत्र और सिर के केश कुछ भूरापन लिए हुए होते हैं। बृहस्पति ग्रह प्रत्येक राशि के पारगमन के लिए लगभग 13 महीनों का समय लेता है। इसके अलावा, बृहस्पति ग्रह धनु एवं मीन में स्वगृही होता है।
कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे
गुरु 20 नवंबर को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। 18 अक्टूबर सोमवार को बृहस्पति अर्थात गुरु ग्रह सुबह 11:39 पर मकर राशि में मार्गी होकर अब इस माह 20 नवंबर 2021 को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर कुंभ राशि में गोचर करेंगे।
केसर डालकर अपने माथे पर तिलक करें
बृहस्पति की शुभता को पाने के लिए प्रत्येक पूर्णिमा पर सत्यनारायण भगवान की कथा सुनें और संभव हो तो प्रत्येक गुरुवार और एकादशी का व्रत भी रखें। यदि संभव हो तो प्रतिदिन चांदी की कटोरी में केसर डालकर अपने माथे पर तिलक करें और गुरुवार के दिन विशेष रूप से पीले कपड़े पहनें।