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नकली दूध पर Supreme Court आदेश का दरकिनार, भारत का भविष्य बन रहा है भयानक बीमारियों का शिकार

भारत में दूध को सफेद सोना (White Gold) भी कहा जाता है, क्योंकि इसे संपूर्ण आहार (Complete Diet) का दर्जा मिला हुआ है। पहले लोग गाय, भैंस और बकरी आदि जानवरों के दूध प्रयोग करते थे,लेकिन वर्तमान समय में हमारी जीवनशैली में बदलाव आया है। इसका असर ये हुआ कि देश में तेजी से डेयरी उत्पादों की खपत में इजाफा हुआ है, लेकिन उतनी मात्रा में हमारी देश दुग्ध उत्पादन नहीं कर पा रहा है। ऐसे में तेजी से डेयरी उत्पादों (Dairy Products)  की हो रही खपत को देखते हुए दूध की गुणवत्ता( Milk Quality) को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। 

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। भारत में दूध को सफेद सोना (White Gold) भी कहा जाता है, क्योंकि इसे संपूर्ण आहार (Complete Diet) का दर्जा मिला हुआ है। पहले लोग गाय, भैंस और बकरी आदि जानवरों के दूध प्रयोग करते थे,लेकिन वर्तमान समय में हमारी जीवनशैली में बदलाव आया है। इसका असर ये हुआ कि देश में तेजी से डेयरी उत्पादों की खपत में इजाफा हुआ है, लेकिन उतनी मात्रा में हमारी देश दुग्ध उत्पादन नहीं कर पा रहा है। ऐसे में तेजी से डेयरी उत्पादों (Dairy Products)  की हो रही खपत को देखते हुए दूध की गुणवत्ता( Milk Quality) को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है।

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मौके का फायदा उठाते हुए देश में दूध माफिया दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए पानी के अलावा यूरिया, स्किम्ड मिल्क पाउडर मिलाकर काफी मात्रा में नकली दूध का उत्पादन कर रहे हैं, लेकिन देश व प्रदेश सरकार की अनदेखी की वजह से ये मिलावट खोरी का धंधा (Adulteration) देश आसानी से फल-फूल रहा है। तो क्या कहना उचित नहीं है कि हम और आप दूध के नाम पर जहर पी रहे हैं? जबकि इस मिलावट खोरी को लेकर डब्ल्यूएचओ भी भारत को चेतावनी दे चुका है। डब्ल्यूएचओ (WHO) का स्पष्ट कहना है कि अगर मिलावट बंद नहीं हुई तो 87 फीसदी भारतीयों को 2025 तक कैंसर (87% of Indians will have cancer by 2025) हो सकता है।

भारत में जागरूकता की कमी के चलते सुरक्षित भोजन मिलना सबसे बड़ी चुनौती बना

बता दें कि जब आप कभी अपने पसंदीदा दूध के उत्पाद चुनते हैं तो क्या आपने कभी सोचा है कि यह उत्पाद आपकी और आपके परिवार की सेहत के लिए कितना फायदेमंद है? क्या वह पौष्टिक और सुरक्षित है? सबसे अहम बात यह है कि भारत में जागरूकता की कमी के चलते सुरक्षित भोजन मिलना सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। बता दें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। साल 2018-19 में भारत में 188 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया था, जबकि 2019-20 में 198 टन दूध का उत्पादन हुआ है।

हालांकि, कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के चलते डेयरी सेक्टर dairy sector पर भी पड़ा, जिसके चलते वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्पादन में काफी गिरावट दर्ज की गई। बता दें कि 2020-21 के लिए यह आंकड़ा 208 मिलियन टन तय किया गया था। बता दें कि देश में जितनी तेजी से डेयरी उत्पादों की खपत में इजाफा हुआ, उतनी ही तेजी से दूध की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ रही है।

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एनिमल वेलफेयर बोर्ड इंडिया (Animal Welfare Board India)  के सदस्य मोहन सिंह अहलूवालिया ने अचरज जताते हुए कहा कि देश में दूध से इतने बड़े पैमाने पर दूध के उत्पाद कैसे बन रहे हैं, जबकि इतनी मात्रा में दूध होता ही नहीं है। अहलूवालिया ने साफ किया कि सरकारी एजेंसियों की मिलीभगत और माफिया की साजिश के तहत देश में जहरीले दूध का कारोबार चल रहा है। अगर सरकार इस पर सख्ती नहीं करेगी। तो आने वाले समय में लोगों को कैंसर जैसी भयानक बीमारियां झेलनी पड़ सकती हैं।

उन्होंने कहा कि वह जगह-जगह जाकर जहरीले दूध (Poisonous Milk)  के कारोबार को उजागर कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि देश में बिकने वाला 68.7 फीसदी दूध और उससे बना उत्पाद मिलावटी है या जहरीला है। साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री (Science and Technology Ministry) ने भी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Food Safety and Standards Authority of India)  2011 के सर्वे के आंकड़े के हवाले से पार्लियामेंट (Parliament) में इसकी पुष्टि की थी।

बता दें कि स्वामी अच्युतानंद( Swami Achutananda) ने नकली दूध की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में लड़ी है। उन्होंने बताया कि 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को मोबाइल लैब mobile lab बनाए जाने, नकली दूध के मामलों में फैसला जल्दी करते हुए जुर्माना लगाने के आदेश दिए थे।

इस पड़ताल के दौरान फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की वेबसाइट पर संयुक्त निदेशक दया शंकर की एक एडवाइजरी advisory में साफ लिखा है कि दूध और दूध उत्पादों की मांग आपूर्ति से बाहर होने पर त्योहार के मौसम में अक्सर मिलावट के मामले बढ़ जाते हैं। इस चिट्ठी में दूध में क्या क्या मिलाया जाता है? इसका भी जिक्र किया गया है।

दूध माफिया (Milk Mafia)  दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए पानी के अलावा यूरिया, स्किम्ड मिल्क पाउडर का भी इस्तेमाल होता है। नकली दूध बनाने में डिटर्जेंट पाउडर, साबुन, सिंथेटिक दूध का भी इस्तेमाल होता है। दूध में फैट दिखाने के लिए वेजिटेबल ऑयल और फैट का इस्तेमाल होता है। दूध को फटने से बचाने के लिए हाइपोक्लोराइड्स, क्लोरामाइंस, हाइड्रोजन पैराऑक्साइड, बोरिक एसिड का इस्तेमाल होता है। दही, पनीर, मक्खन और क्रीम बनाने में भी हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है।

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तमाम केमिकल से बना ये नकली दूध (Impure Milk)  सेहत के लिए कितना हानिकारक होता है। इस बारे में वरिष्ठ न्यूट्रीशियन डॉ. मंजरी चंद्रा ने बताया कि दूध में केमिकल की मात्रा ज्यादा होने पर नुकसानदायक होता है। अगर रोज इस तरह से केमिकल वाले दूध (Chemical Milk) पीते हैं तो बच्चों में न्यूरो, मेंटल इलनेस, विकास की कमी और कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती हैं।

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