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Justice Yashwant Varma Transfer: कैश कांड की जांच के बीच जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर, अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में संभालेंगे कार्यभार

Cash Discovery Row: केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई-कोर्ट में ट्रांसफर करने की अधिसूचना जारी की है। न्यायमूर्ति वर्मा को अपना पदभार ग्रहण करने और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कार्यभार संभालने का निर्देश दिया गया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नगदी मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

By Abhimanyu 
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Cash Discovery Row: केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई-कोर्ट में ट्रांसफर करने की अधिसूचना जारी की है। जस्टिस वर्मा को अपना पदभार ग्रहण करने और इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यभार संभालने का निर्देश दिया गया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नगदी मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

पढ़ें :- Justice Yashwant Verma: सुप्रीम कोर्ट का 34 साल पुराना फैसला तय करेगा जस्टिस वर्मा का भविष्य, जानिए FIR दर्ज होगी या नहीं

भारत सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है- “भारत के संविधान के अनुच्छेद 222 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित करते हैं और उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपना पदभार ग्रहण करने का निर्देश देते हैं।” बता दें कि 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास के स्टोर रूम में आग लगी, जिसके बाद वहां से भारी मात्रा में जले हुए नोट मिलने की बात सामने आई। इस घटना ने न्यायपालिका में हलचल मचा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जांच के लिए कमेटी गठित की है।

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इस मामले में अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा और हेमाली सुरेश कुर्ने ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि मामले की इन हाउस कमेटी द्वारा जांच की जा रही है और रिपोर्ट आने के बाद देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) के पास कार्रवाई करने के कई सारे विकल्प हैं। ऐसे में इस याचिका पर विचार करना उचित नहीं होगा। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने इस याचिका को ‘‘समय से पहले’’ दायर की गई याचिका बताया।

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