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मध्यप्रदेश पुलिस में 14 साल बाद आरक्षकों के ट्रेनिंग मॉड्यूल में बदलाव

मध्यप्रदेश के पुलिस विभाग में भर्ती होने वाले नव आरक्षकों को अब आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के लिए जो सिलेबस अभी तक उपयोग में लाया जाता था लेकिन 14 बरस बाद इसमें सुधार लाया जा रहा है।

By Shital Kumar 
Updated Date

भोपाल। मध्यप्रदेश के पुलिस विभाग में भर्ती होने वाले नव आरक्षकों को अब आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए प्रशिक्षण सिलेबस में सुधार करने का फैसला लिया है। प्रशिक्षण के लिए जो सिलेबस अभी तक उपयोग में लाया जाता था लेकिन 14 बरस बाद इसमें सुधार लाया जा रहा है ताकि नव आरक्षकों को अत्याधुनिक नई तकनीकी रूप से अधिक से अधिक दक्ष किया जा सके।

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मप्र के भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन, टीवा, उमरिया, पचमढ़ी, सागर स्थित पुलिस ट्रेनिंग स्कूलों में नव आरक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इन ट्रेनिंग स्कूल में गई से 4500 नव आरक्षकों के नए बैच की शुरुआत होगी। 2011 के बाद से यही पुराना सिलेबस चला आ रहा था, लेकिन अब 14 साल बाद इस सिलेबस में सुधार किया जा रहा है।

एडीजीपी ट्रेनिंग, राजा बाबू सिंह ने बताया कि अब नव आरक्षकों को एआई, ड्रोन तकनीक, साइबर क्राइम, और ऑनलाइन फ्रॉड जैसी आधुनिक तकनीकों के बारे में भी शिक्षा दी जाएगी। दस प्रशिक्षण केंद्रों (पीटीएस रीवा, उमरिया, पंचमढ़ी, सागर, तिघरा ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन, बावड़ी भोपाल के साथ दो उपनिरीक्षक व डीएसपी प्रशिक्षण केंद्र जेएनपीए सागर और एकीकृत पुलिस प्रशिक्षण संस्थान भौरी भोपाल) के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी मेरे पास है। सभी प्रशिक्षण केंद्रों में मई से प्रदेश के साढ़े चार हजार नव आरक्षकों को नए माड्यूल के अनुसार प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 14 साल बाद आरक्षकों के ट्रेनिंग मॉड्यूल में बदलाव होने जा रहा है। इससे पहले 2011 में ट्रेनिंग मॉड्यूल बदला गया था।

एडीजी सिंह ने कहा कि लगातार बढ़ते साइबर अपराध जितनी बड़ी चुनौती आम जनता के लिए है, उतना ही पुलिस के लिए भी हैं। ऐसे में आरक्षकों को साइबर अपराध की चुनौतियों, एआई तकनीक सहित तमाम तरह के प्रशिक्षण प्रदान किए जाएंगे। मकसद यह है कि जब आरक्षक प्रशिक्षण के बाद पीटीएस और पीटीसी से निकले, तो वह पूरी तरह से दक्ष होना चाहिए। आरक्षकों को शारीरिक रूप से मजबूत करने के साथ तकनीकी तौर पर भी दक्ष किया जाएगा। इसलिए उन्हें भीड़ से निपटने के अलावा जांच पड़ताल के तरीकों और आधुनिक तकनीक यानी एआई, ड्रोन आपरेटिंग और साइबर फोरेंसिक की ट्रेनिंग दी जाएगी। अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (वीएनएस) ने ले ली है। इसी तरह, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिता ने ले ली है। इसका प्रशिक्षण भी आरक्षकों को दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि आरक्षकों को नौ महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें साढ़े चार महीने के दो सेमेस्टर होते हैं। इसके बीच में सात दिन का गैप होता है, फिर इन्हें कानून व्यवस्था के लिए तैनात किया जाता है।

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