जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के किश्तवाड़ (Kishtwar) में प्रकृति का रौद्र रूप देखने को मिला है। बादल फटने (cloudburst) से अचानक चारो तरफ पानी ही पानी हो गया। हालात बाढ़ जैसे हो गए। बादल फटने से लगभग 40 लोग लापता हो गए हैं। इसके पहले 4 मई, 2021 को उत्तराखंड में चमोली जिले के बिनसर पहाड़ी इलाके में बादल फटने की सूचना मिली थी।
Cloudburst: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के किश्तवाड़ (Kishtwar) में प्रकृति का रौद्र रूप देखने को मिला है। बादल फटने (cloudburst) से अचानक चारो तरफ पानी ही पानी हो गया। हालात बाढ़ जैसे हो गए।बादल फटने से लगभग 40 लोग लापता हो गए हैं। इसके पहले 4 मई, 2021 को उत्तराखंड में चमोली जिले के बिनसर पहाड़ी इलाके में बादल फटने की सूचना मिली थी। कई दुकानें और वाहन कथित तौर पर कीचड़ और मलबे के नीचे दब गए हैं। राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) ने बचाव कार्य किया।
6 अगस्त 2010 को जम्मू और कश्मीर (Jammu Kashmir) के लद्दाख क्षेत्र के शहर लेह में सिलसिलेवार ढंग से फटे कई बादलों के कारण लगभग पूरा पुराना लेह शहर तबाह हो गया था। इस घटना में 115 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 300 से ज़्यादा लोगों के घायल होने की खबरें थीं। 2013 में 16 और 17 जून को केदारनाथ में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी।
चंद मिनटों में होती है ज़्यादा बारिश
बादल फटना एक प्राकृतिक घटना है जिसमें कम समय में अत्यधिक मात्रा में वर्षा होती है। बादल एक छोटे से क्षेत्र में जल्दी से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ सकते हैं, जिससे बाढ़ आ सकती है। चंद मिनटों में 2 सेंटीमीटर से ज़्यादा बारिश होती है जिससे प्रभावित क्षेत्र (Flood Affected Area) में भारी तबाही देखी जाती है। वास्तव में, सबसे तेज़ बारिश के लिए यह भाषा का एक शब्द या फ्रेज़ है। वैज्ञानिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं होता कि बादल किसी गुब्बारे की तरह फटता हो।
पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है
मौसम विज्ञान की मानें तो जब बादलों में भारी मात्रा में आर्द्रता होती है। उनकी आसमानी चाल में कोई बाधा आ जाती है, तब अचानक संघनन बहुत तेज़ होता है। इस स्थिति में प्रभावित और सीमित इलाके में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है, जिसके कारण उस क्षेत्र में तेज़ बहाव या बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है।
पानी के अत्यंत तेज़ बहाव के कारण संरचनाओं और चीज़ों को भारी नुकसान होता है। भारत के लिहाज़ से समझें तो मानसून के मौसम में नमी से भरपूर बादल जब उत्तर की तरफ बढ़ते हैं तो हिमालय पर्वत एक बड़े अवरोधक के रूप में उनके रास्ते में होता है।