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शिव के आंगन में पहुंची मां अन्नपूर्णा, 108 वर्षों बाद देवोत्थान एकादशी के दिन फिर हुई विराजमान

शिव के आंगन में 108 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सोमवार सुबह मां अन्नपूर्णा की दुर्लभ प्रतिमा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम (Shrikashi Vishwanath Dham)  में स्थापना हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने  वैदिक मंत्रोच्चार के बीच  प्रतिमा यात्रा की अगवानी की। पूरा मंदिर परिसर मां के जयकारे और हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान हो गया।

By संतोष सिंह 
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वाराणसी। शिव के आंगन में 108 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सोमवार सुबह मां अन्नपूर्णा की दुर्लभ प्रतिमा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम (Shrikashi Vishwanath Dham)  में स्थापना हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने  वैदिक मंत्रोच्चार के बीच  प्रतिमा यात्रा की अगवानी की। पूरा मंदिर परिसर मां के जयकारे और हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान हो गया। मंगला आरती (Mangala Aarti) के बाद से ही मंदिर परिसर में आयोजन शुरू हो गए थे। 18वीं शताब्दी की भव्य मूर्ति (18th Century Drand Statue) के एक हाथ में खीर की कटोरी एवं दूसरे हाथ में चम्मच देख कर लग रहा था कि मां अपने भक्तों को प्रसाद बांटते हुए अपने देवस्थान पर जाने हेतु चलायमान हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के हाथों बाबा विश्वनाथ धाम (Baba Vishwanath Dham) के नये देवोस्थान में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा किये जाने पर अत्यंत हर्ष व्याप्त है।

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इस अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले भारत की मूर्तियां तस्करी कर दुनिया के अन्य देशों में पहुंचा दी जाती थीं, इससे भारत की आस्था आहत होती थी। मगर अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ढूंढ-ढूंढ कर मूर्तियों को वापस भारत लाया जा रहा है।सीएम योगी ने कहा कि मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा को पुनः काशी धाम में वापस लाने का पूरा श्रेय देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। काशीवासियों और प्रदेशवासियों की ओर से प्रधानमंत्री का हार्दिक अभिनंदन। मूर्ति स्थापना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा दरबार में हाजिरी लगाई। जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कर बाबा से आशीर्वाद मांगा। जनकल्याण के भावों से बाबा का पूजन अर्चन कर वहां से रवाना हुए।

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श्रीकाशी विश्वनाथ धाम  (Shrikashi Vishwanath Dham) के आंगन में भी माता के आगमन की खुशियों का उल्लास कण-कण में बिखरा है।  श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि बाबा विश्वनाथ की रंगभरी एकादशी की पालकी यात्रा की रजत पालकी और सिंहासन माता के स्वागत के लिए भेजा गया। मां ज्ञानवापी के प्रवेश द्वार से इसी पालकी में सिंहासन पर विराजमान होकर काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश कीं।

108 साल बाद महादेव की नगरी काशी में मां अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति की वापसी पर पुष्पवर्षा से स्वागत वंदन एवं आरती चेतमणि गुरुधाम चौराहे पर अग्रवाल महासभा चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष कुमार अग्रवाल ने परिवार के साथ किया। माता को चांदी का मुकुट, सोने की हार एवं कंगन अर्पित कर श्रृंगार एवं पूजन किया।

18वीं सदी की है प्रतिमा

बलुआ पत्थर से बनी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 18वीं सदी की बताई जाती है। मां एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच लिए हुए हैं। प्राचीन प्रतिमा कनाडा कैसे पहुंची, यह राज आज भी बरकरार है। लोगों का कहना है कि दुर्लभ और ऐतिहासिक सामग्रियों की तस्करी करने वालों ने प्रतिमा को कनाडा ले जाकर बेच दिया था। काशी के बुजुर्ग विद्वानों को भी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के गायब होने की जानकारी नहीं है।

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