Birth Anniversary Dr. Rajendra Prasad: पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने लोगों को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की आज जयंती है। अपनी सादगी व सत्यनिष्ठा के लिए प्रसिद्ध डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने देश की स्वाधीनता में अपना अमूल्य योगदान दिया था।
Birth Anniversary Dr. Rajendra Prasad: पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने लोगों को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की आज जयंती है। अपनी सादगी व सत्यनिष्ठा के लिए प्रसिद्ध डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने देश की स्वाधीनता में अपना अमूल्य योगदान दिया था।
उन्होंने कहा कि, दुनिया के सबसे बड़े संविधान को 02 वर्ष 11 महीने 18 दिन में बनाने में सफलता प्राप्त करते हुए आजाद भारत की व्यवस्था को कैसे व्यवस्थित रूप से संचालित करना चाहिए, यह डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी (Dr. Rajendra Prasad) के नेतृत्व में देश की संविधान सभा ने करके दिखाया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी (Dr. Rajendra Prasad) ने लगातार 12 वर्षों तक देश के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
जनपद लखनऊ में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी की जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात कार्यक्रम को सम्बोधित करते #UPCM श्री @myogiadityanath जी pic.twitter.com/BDGc7cxg4G
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) December 3, 2021
राजसी ठाट-बाट से दूर रहने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी (Dr. Rajendra Prasad) ने उस दौरान जिन परम्पराओं की शुरुआत की थी वो आज भी राष्ट्रपति भवन में देखने को मिलती हैं। उन्होंने कहा कि, यूपी सरकार ने तय किया है कि प्रदेश में बनने वाला नया नेशनल लॉ विश्वविद्यालय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के नाम पर होगा।
यह कार्य प्रयागराज में शुरू हो गया है। भारत माता के इस महान सपूत को कोटि-कोटि नमन करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। साथ ही कहा कि, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी (Dr. Rajendra Prasad) कुम्भ के दौरान तो आते ही थे, प्रत्येक वर्ष माघ मेले में कल्पवास के लिए भी प्रदेश आते थे। भारत की परंपरा और आस्था के प्रति उनका अटूट लगाव था।