प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से ‘प्राकृतिक खेती-राष्ट्रीय सम्मेलन’ के समापन सत्र को सम्बोधित किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) अपने सरकारी आवास से वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। यह सम्मेलन आणंद, गुजरात में आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक कृषि पर आधारित यह राष्ट्रीय सम्मेलन देश में कृषि सेक्टर, खेती किसानों के लिए महत्वपूर्ण है।
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से ‘प्राकृतिक खेती-राष्ट्रीय सम्मेलन’ के समापन सत्र को सम्बोधित किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) अपने सरकारी आवास से वर्चुअल माध्यम से इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। यह सम्मेलन आणंद, गुजरात में आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक कृषि पर आधारित यह राष्ट्रीय सम्मेलन देश में कृषि सेक्टर, खेती किसानों के लिए महत्वपूर्ण है। इस सम्मेलन से 08 करोड़ से अधिक किसान तकनीकी माध्यम से देश के हर कोने से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती पर आधारित यह सम्मेलन कृषि के विभिन्न आयाम, फूड प्रोसेसिंग, नैचुरल फार्मिंग इत्यादि विषय पर 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में सहायक सिद्ध होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती से जुड़े इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ सीखने की जरुरत है, बल्कि आधुनिक समय में तराशने की जरूरत है। इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे। प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा। उन्होंने देश के हर राज्य एवं राज्य सरकार आग्रह किया कि वो प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने के लिए आगे आएं। इस अमृत महोत्सव वर्ष में हर पंचायत का कम से कम एक गांव प्राकृतिक खेती से अवश्य जुड़े। प्रधानमंत्री ने कहा कि नैचुरल फार्मिंग से देश के 80 प्रतिशत किसानों को सबसे अधिक फायदा होगा। इनमें 02 हेक्टेयर से कम भूमि वाले छोटे किसान हैं। इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। अगर वे प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे, तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी। एक भ्रम यह भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी। जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। मानवता के विकास का इतिहास इसका साक्षी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विगत 6-7 वर्षों में बीज से लेकर बाज़ार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक प्रभावी कार्य किए गए हैं। आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, उसे हम सबने बहुत बारीकी से देखा है। अब आज़ादी के 100वें वर्ष तक का जो हमारा सफर है, वह नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है।
अपने सम्बोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस संगोष्ठी का आयोजन प्राकृतिक खेती के प्रयोग को बढ़ावा देने और किसानों को इससे होने वाले लाभों की जानकारी देने के लिए किया गया है। प्रधानमंत्री इस संगोष्ठी के प्रेरणा स्रोत हैं। देश में किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं इसलिए प्रधानमंत्री ने इस मुहिम को गति देने का निश्चय करते हुए अपील भी की है। इसी का परिणाम है कि देश भर में लाखों किसान आज धीरे-धीरे प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं। इसके लाभों को देखकर अनेक किसान इसके प्रयोग को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सालों पुरानी हमारी पारम्परिक और प्राकृतिक खेती को पुनर्जीवित करने का एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हाल ही में भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सहकारिता के माध्यम से फाइनेंस और मछली पालन सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्य हो रहे हैं। इससे छोटे किसानों को लाभ के साथ-साथ उनका सशक्तीकरण भी होगा। देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिले और ज्यादा से ज्यादा किसान इसे अपनाएं, इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि उन्हें ऑर्गेनिक फूड प्रोडक्ट का उचित दाम मिले।