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Covid-19 : कोविड एक और लहर की आशंका? नए वैरिएंट से वैश्विक स्तर पर संक्रमण में 80 फीसदी तक हो सकती है बढ़ोत्तरी

कोरोना को लेकर जारी साप्ताहिक रिपोर्ट में, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (United Nations Agency) ने बताया कि दुनियाभर में 10 जुलाई से 6 अगस्त तक कोरोना के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज किए, जो पिछले 28 दिनों की तुलना में 80 प्रतिशत की वृद्धि है।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। कोविड -19 (Covid-19) के नए वैरिएंट ‘एरिस’ (New variant ‘Aris’) के कारण वैश्विक स्तर (Global Scale) पर संक्रमण के मामलों में उछाल देखा जा रहा है। यूके, भारत सहित कई देशों में कोरोना के वैरिएंट EG.5.1 के मामले रिपोर्ट किए गए हैं। कोरोना को लेकर जारी साप्ताहिक रिपोर्ट में, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (United Nations Agency) ने बताया कि दुनियाभर में 10 जुलाई से 6 अगस्त तक कोरोना के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज किए, जो पिछले 28 दिनों की तुलना में 80 प्रतिशत की वृद्धि है।

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ओमिक्रॉन (Omicron) का ही सब-वैरिएंट माने जाने वाले इस नए वैरिएंट की संक्रामकता दर अधिक देखी जा रही है, जिसके कारण वैश्विक स्तर (Global Scale) पर संक्रमण के मामले बढ़ने की आशंका है।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (United Nations Agency) की साप्ताहिक अपडेट में बताया गया है कि संक्रमण के मामले तो बढ़े हैं पर मौत के मामलों कमी आई है। मौतों की संख्या 57 प्रतिशत गिरकर 2,500 रह गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है यह आंकड़े अधिक हो सकते हैं, क्योंकि महामारी के पहले चरण की तुलना में बहुत कम परीक्षण किए जा रहे हैं।

भारत में कैसी है संक्रमण की स्थिति

वैश्विक स्तर (Global Scale)  पर संक्रमण के बढ़ते मामले चिंता बढ़ा रहे हैं, हालांकि भारत के नजरिए से बात करें तो यहां स्थिति काफी नियंत्रित लग रही है। भारत में मई के महीने में कोरोना के इस नए वैरिएंट के मामले पहली बार रिपोर्ट किए गए थे, हालांकि इसके बाद संक्रमण या फिर अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने कहा कि देश में संक्रमण के मामलों को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। संक्रमण की स्थिति की निगरानी की जा रही है, जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) के जरिए नए वैरिएंट पर नजर रखा जा रहा है।

कई देशों में बिगड़े हालात

संक्रमण के ज्यादातर नए मामले वेस्टर्न पेस्फिक रीजन क्षेत्र से रिपोर्ट किए जा रहे यहां संक्रमण में 137 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और जापान जैसे कई देशों में हाल के हफ्तों में मामलों में वृद्धि देखी गई है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में सबसे ज्यादा नए मामले कोरिया, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और इटली से सामने आए हैं, वहीं ब्राजील, कोरिया, रूस, पेरू और ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा मौतें हुईं।

नए वैरिएंट की प्रकृति

पुणे स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इनफेक्शियस डिजीज के निदेशक (Director, Pune-based Institute of Infectious Diseases) डॉ. संजय पुजारी (Dr. Sanjay Pujari) बताते हैं, सार्स-सीओवी-2 का एरिस यानी EG.5.1, ओमिक्रॉन वेरिएंट XBB.1.9.2 का ही एक उप प्रकार है। इसके मूल स्ट्रेन की तुलना में इसमें दो अतिरिक्त स्पाइक म्यूटेशन (Q52H, F456L) हैं। इन म्यूटेशनों के कारण वैरिएंट की संक्रामकता दर अधिक देखी जा रही है।

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कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि पहले के ओमिक्रॉन वैरिएंट्स की तुलना में इस नए वैरिएंट की इम्युनिटी स्केपिंग क्षमता अधिक हो सकती है, ऐसे में जिन लोगों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक है उनमें भी संक्रमण का जोखिम अधिक हो सकता है।

प्रतिरक्षा को आसानी से चकमा देने वाला वैरिएंट

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना के इस नए वैरिएंट के कारण संक्रमितों में गंभीर लक्षण नहीं देखे जा रहे हैं। ज्यादातर लोग तेज बुखार, सामान्य सर्दी, शरीर दर्द और सिरदर्द की समस्या का ही अनुभव कर रहे हैं, रोगियों में गंभीर रोग या फिर अस्पताल में भर्ती होने के मामले अधिक नहीं देखे जा रहे हैं। हालांकि जिस तरह से इस वैरिएंट की प्रतिरक्षा को चकमा देने की क्षमता देखी जा रही है, इससे भविष्य में संक्रमण के मामलों के बढ़ने की आशंका अधिक हो सकती है।

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