भारत के महान क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी और बाएं हांथ के धुरंधर बल्लेबाज सुरेश रैना ने आज के ही दिन पिछले साल अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा की थी। और ये दोनो साथी क्रिकेटर आज के दिन एक साथ विदा हो गये। माही को अपने बूट टांगे एक साल हो गया।
Cricket: भारत के महान क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी(Dhoni) और बाएं हांथ के धुरंधर बल्लेबाज सुरेश रैना ने आज के ही दिन पिछले साल अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा की थी। और ये दोनो साथी क्रिकेटर आज के दिन एक साथ विदा हो गये। माही(Mahi) को अपने बूट टांगे एक साल हो गया। बीते कुछ समय के सारे मज़ाक, सारी घुड़कियों, सारे तंज़ों की बत्ती बनाकर कह रहा हूं कि ये कोई छोटा मौका नहीं है।
धोनी का जाना, धोनी के आने से बड़ी घटना थी। क्यूंकि उस इंसान का इम्पैक्ट बहुत बड़ा था। पिछले ठीक-ठाक समय से हम आईसीसी इवेंट(ICC Event) में सबसे अच्छी टीम बन के जाते हैं और दूसरी या तीसरी सबसे अच्छी टीम साबित होकर आते हैं। जो कसर रह रही है, मेरे ख़याल से, वो धोनी है। क्यूंकि एक अजीब से नाम वाले राज्य से आने वाले, अजीब से बाल रखने वाले, अजीब से बैटिंग स्टांस वाले, थ्रो आते वक़्त अजीब तरह से विकेट के आगे खड़े हो जाने वाले, अजीब फ़ैसले लेने वाले इस अजीब से लड़के(Boy) के आने से पहले भी हम ठीक यहीं थे।
आईसीसी इवेंट्स में दूसरी सबसे अच्छी टीम हम जाने जाते थे फ़ाइनल में पहुंचने के लिए भी और फ़ाइनल(FInal) हारने के लिये भी। दुनिया का कोई भी दूसरा कप्तान होता, जोगिंदर शर्मा जैसे दोयम दर्जे के गेंदबाज़ को विश्व कप का आख़िरी ओवर नहीं देता। वो भी तब, जब हरभजन(HarbhajN) का ओवर बचा हो। और वो भी तब, जब वो ख़ुद खासा नया खिलाड़ी था और अपना नाम स्थापित करने में लगा था। वो हार उसका बहुत कुछ या सब कुछ लुटवा सकती थी। सामने पाकिस्तान था। बस, एकदम यही। यही धोनी है।