राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने एक बार फिर रविवार 17 मार्च को सरकार्यवाह के पद के लिए दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) चुना गया है। वह 2027 तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे। बता दें कि होसबाले 2021 से सरकार्यवाह की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।
नागरपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने एक बार फिर रविवार 17 मार्च को सरकार्यवाह के पद के लिए दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) चुना गया है। वह 2027 तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे। बता दें कि होसबाले 2021 से सरकार्यवाह की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं।
नागरपुर में चल रही प्रतिनिधि सभा में 17 मार्च को इसका एलान किया गया। बता दें कि आज इस बैठक का आखिरी दिन है। संघ की प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से एक बार फिर अगले तीन साल के लिए दत्तात्रेय को सरकार्यवाह चुना है। साल 2021 से पहले वह सह सरकार्यवाह का दायित्व संभाल रहे थे। इससे पहले भैयाजी जोशी सरकार्यवाह की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
कौन हैं दत्तात्रेय होसबाले?
दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) कर्नाटक के शिमोगा के रहने वाले हैं। एक दिसंबर, 1955 में जन्मे होसबाले मात्र 13 साल की उम्र में वर्ष 1968 में आरएसएस से जुड़ गए थे। वर्ष 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) से जुड़े। होसबाले ने बैंगलोर यूनिवर्सिटी (Bangalore University) से अंग्रेजी से स्नातकोत्तर किया। दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) एबीवीपी कर्नाटक (ABVP Karnataka) के प्रदेश संगठन मंत्री रहे। इसके बाद एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री और सह संगठन मंत्री रहे। करीब दो दशकों तक एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री (ABVP Rashtriya Sangathan Mantri ) रहे। इसके बाद करीब 2002-03 में संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख बनाए गए। वे वर्ष 2009 से सह सर कार्यवाह थे। दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) को मातृभाषा कन्नड़ के अतिरिक्त अंग्रेजी, तामिल, मराठी, हिंदी व संस्कृत सहित अनेक भाषाओं का ज्ञान है।
14 माह तक रहे मीसा बंदी
दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) वर्ष 1975-77 के जेपी आंदोलन में भी सक्रिय थे और लगभग पौने दो वर्ष तक ‘मीसा’ के अंतर्गत जेल में रहे। जेल में होसबोले ने दो हस्तलिखित पत्रिकाओं का संपादन भी किया। इनमें से एक कन्नड़ भाषा की मासिक पत्रिका असीमा थी।
संघ में हर तीसरी साल होते हैं चुनाव
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में प्रत्येक तीन वर्षों पर चुनाव की प्रक्रिया अपना कर जिला संघचालक, विभाग संघचालक, प्रांत संघचालक, क्षेत्र संघचालक के साथ साथ सरकार्यवाह का चुनाव होता है। फिर ये लोग अपनी टीम की घोषणा करते हैं, जो अगले तीन वर्षों तक काम करती है। आवश्यकतानुसार बीच में भी कुछ पदों पर बदलाव होता रहता है। क्षेत्र प्रचारक और प्रांत प्रचारकों के दायित्व में बदलाव भी प्रतिनिधि सभा की बैठक में होती है। संघ में प्रतिनिधि सभा निर्णय लेने वाला विभाग है।
ऐसे होता है सरकार्यवाह का चुनाव
(RSS) में सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह का पद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। विश्व के सबसे बड़े संगठन के दूसरे प्रमुख पद के लिए जब चुनाव होता है, तो कोई तामझाम नहीं रहता है और न ही कोई दिखावा होता है। इस चुनाव की प्रक्रिया में पूरी केंद्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्र व प्रांत के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और संघ की प्रतिज्ञा किए हुए सक्रिय स्वयंसेवकों की ओर से चुने गए प्रतिनिधि शामिल होते हैं।