भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अंश हैं। दत्तात्रेय भगवान त्रिदेव के मिले जुले रूप माने जाते हैं। मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष के दसवें दिन इनकी जयंती मनाई जाती है।
Dattatreya Jayanti 2024 : भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अंश हैं। दत्तात्रेय भगवान त्रिदेव के मिले जुले रूप माने जाते हैं। मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष के दसवें दिन इनकी जयंती मनाई जाती है। दत्तात्रेय के स्मरण मात्र से हमारे अंदर ज्ञान, वैराग्य और भक्ति की भावना उत्पन्न होने लगती है। भगवान दत्तात्रेय को समर्पित कई मंदिर हैं, खासकर दक्षिणी भारत में। वे महाराष्ट्र राज्य में भी एक प्रमुख देवता हैं। प्रसिद्ध दत्ता संप्रदाय दत्तात्रेय के पंथ से ही विकसित हुआ। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, अत्री ऋषि व माता अनुसुइया के यहां भगवान दत्तात्रेय का अवतारण होता है। भगवान दत्तात्रेय के तीन सिर और छह भुजाएँ हैं। दत्तात्रेय जयंती पर उनके बाल रूप की पूजा की जाती है। यह दिन कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में भगवान दत्तात्रेय मंदिरों में बहुत खुशी और धूमधाम से मनाया जाता है।
शनिवार, 14 दिसंबर, 2024
इसके लिए तिथि समय इस प्रकार है।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 14 दिसंबर 2024 को शाम 04:58 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 15 दिसंबर 2024 को दोपहर 02:31 बजे
भगवान दत्तात्रेय के मंत्र
बीज मंत्र – ॐ द्रां
तांत्रोक्त दत्तात्रेय मंत्र – ॐ द्रांदत्तात्रेयाय नमः
दत्त गायत्री मंत्र – ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात
दत्तात्रेय का महामंत्र – दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा
इन मंत्रों का जाप करने से पितृ दोष का समाधान होता है।
इन मंत्रों का जाप करने से बुद्धि, ज्ञान, और बल की प्राप्ति होती है।
इन मंत्रों का जाप करने से शत्रु बाधाएं दूर होती हैं।