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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जापानी तकनीकी पर होगा पेयजल का प्रबंधन

भविष्य में होने वाले जल संकट को देखते हुए पूरे विश्व के लोग पानी को बचाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी क्रम में यूपी (UP) के जलकल विभाग (Jal Kal Department)  के अधिकारी जापान के दौरे पर गए थे। मिली जानकारी के अनुसार जल कल विभाग की टीम ने करीब एक सप्ताह तक जापान के कई शहरों का दौरा किया।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। भविष्य में होने वाले जल संकट को देखते हुए पूरे विश्व के लोग पानी को बचाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी क्रम में यूपी (UP) के जलकल विभाग (Jal Kal Department)  के अधिकारी जापान के दौरे पर गए थे। मिली जानकारी के अनुसार जल कल विभाग की टीम ने करीब एक सप्ताह तक जापान के कई शहरों का दौरा किया। जलकल विभाग (Jal Kal Department)  के अधिकारी रघुवेंद्र कुमार ने बताया कि जल को बचाने के लिए अब हमलोग जापानी तकनीक पर काम करेंगे।

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बनारस शहर के हर वार्ड में किया जाएगा लागू

अधिकारियों ने कहा कि जापान के नलों में इलेक्ट्रॉनिक टोटियां लगी होती है। उसी के तर्ज पर बनारस में टोटियां लगाई जाएगी। वाराणसी में लगभग 40 प्रतिशत जल रोज बर्बाद होता है। वहीं अगर जापान की बात करें तो वहां 3 प्रतिशत है। जापान के किसी शहर में प्लास्टिक के पाइप का प्रयोग नहीं किया जाता है। वहां पर स्टेलेस स्टील और आयरन की पाइप का उपयोग किया जाता है। जापान दौरे से जो टीम लौटी है उसके साथ प्लालिंग की जाएगी की कैसे यहां पर इसको लागू किया जाए?

पानी के साथ सीवर प्रबधंन को भी ठीक किया जाएगा। भारत में सीवर सफाई के लिए उचित प्रबधंन नहीं है। आए दिन सीवर सफाई के दौरान मजदूरों की मौत हो जाती है। इसके लिए भी कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ मिलकर कार्ययोजना बनाई जाएगी।

धरती पर 3 प्रतिशत पानी पीने योग्य

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भूगर्भ वैज्ञानिकों (Geologists) का दावा है कि आने वाले दिनों में पानी की किल्लत होनी तय है। इसलिए लोगों को पानी बचाने के लिए अभी से प्रयास शुरू कर देना चाहिए। धरती पर सिर्फ 3 प्रतिशत ही पानी पीने योग्य है। 97 प्रतिशत पानी खारा है। वैज्ञानिक लगातार इस खारे पानी को पीने योग्य बनाने के लिए जुटे हुए हैं। भारत में वैज्ञानिक लगातर प्रयास कर रहे है कि बारिश के पानी का कैसे उपयोग किया जाए? ताकि बाद में इसका प्रयोग किया जा सके।

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