भारत की टीम में पिछले दिनों वेंकेट्श अय्यर और दीपक हुड्डा जैसे तेज गेंदबाज आलराउंडरों को खेलने के लिए टीम में शामिल किया गया। इन्हें बल्लेबाजी करने के मौके तो मिले लेकिन इन खिलाड़ियों से गेंदबाजी बहुत कम करवाई गयी। वेस्टइंडीज के साथ खेले गये पहले वनडे मैच में डेब्यू करने वाले दीपक हुड्डा को बल्लेबाजी करने का मौका मिला लेकिन कप्तान ने उन्हें गेंदबाजी नहीं सौंपी।
नई दिल्ली। भारत की टीम में पिछले दिनों वेंकेट्श अय्यर और दीपक हुड्डा जैसे तेज गेंदबाज आलराउंडरों को खेलने के लिए टीम में शामिल किया गया। इन्हें बल्लेबाजी करने के मौके तो मिले लेकिन इन खिलाड़ियों से गेंदबाजी बहुत कम करवाई गयी। वेस्टइंडीज के साथ खेले गये पहले वनडे मैच में डेब्यू करने वाले दीपक हुड्डा (Dipak Hudda) को बल्लेबाजी करने का मौका मिला लेकिन कप्तान ने उन्हें गेंदबाजी नहीं सौंपी।
आलराउंडरों को टीम में शामिल कर के उनसे गेंदबाजी ना कराने के फैसले का पुरजोर विरोध किया है भारत के पूर्व क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने। उन्होंने कहा कि ऐसे भारत के अच्छे तेज गेंदबाजी आलराउंडर की तलाश नहीं पूरी होगी। भारतीय टीम को तेज गेंदबाजी करने के साथ साथ बल्लेबाजी करने वाले अच्छे आलराउंडर की तलाश कई वर्षो से है। हार्दिक पांड्या के टीम में आने के बाद लगा ये खोज पूरी हो गई लेकिन वो लगातार पिछले कई महीनों से चोटिल चल रहे हैं।
चोट के कारण गेंदबाजी करने में भी वो असक्षम नजर आ रहे हैं। इस बीच उनके विकल्प का भी टीम मैनेजमेंट काफी जोर शोर से तलाश कर रहा है। उनकी जगह भरने के लिए मैनेजमेंट ने वेंकेट्श अय्यर को आजमाया है और वेस्टइंडीज के साथ खेले जा रहे तीन वनडे मैचों की सीरीज के पहले मैच में भी टीम में दीपक हुड्डा को मौका दिया गया। दीपक एक आलराउंडर हैं वो बल्लेबाजी के साथ साथ तेज गेंदबाजी करते हैं।
दीपक को वेस्टइंडीज के साथ खेले गये पहले वनडे मैच में बल्लेबाजी करने का मौका तो जरुर मिला लेकिन उनसे गेंदबाजी नहीं कराई गई। वेंकेटश को भी बल्लेबाजी के मौके खूब मिले लेकिन उनको गेंदबाजी करने का मौका बहुत कम मिला। आकाश चोपड़ा (Aaakash Chopda) ने ट्विटर पर लिखा, ‘पहले वेंकटेश अय्यर और अब हूडा। इस तरह से ऑलराउंडर बनाना नामुमकिन सा है अगर उन्हें गेंदबाजी करने का मौका ही नहीं मिलेगा या शायद सिलेक्टर्स खिलाड़ियों को ऑलराउंडर के तौर पर चुनते हैं लेकिन टीम मैनेजमेंट को इन खिलाड़ियों की गेंदबाजी पर बहुत कम या फिर एकदम ही भरोसा नहीं है।’