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Gayatri Jayanti 2021: गायत्री जयंती आज,इन शुभ मुहूर्तो में करें पूजा-अर्चना

जीवन को आनंद से जीने के लिए हिंदू धर्म शास्त्रों में वृहद रूप से वर्णित है। हिंदू धर्म धर्म शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार, अगर आप पूरे दिन में तीन बार भी गायत्री मंत्र का जाप करते हैं तो आपका जीवन सकारात्मकता की तरह प्रेरित होता है और नकारात्मकता जाती रहती है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

लखनऊ : जीवन को आनंद से जीने के लिए हिंदू धर्म शास्त्रों में वृहद रूप से वर्णित है। हिंदू धर्म धर्म शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार, अगर आप पूरे दिन में तीन बार भी गायत्री मंत्र का जाप करते हैं तो आपका जीवन सकारात्मकता की तरह प्रेरित होता है और नकारात्मकता जाती रहती है। आज गायत्री जयंती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गायत्री जयंती हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। गायत्री को ब्रह्मा की पत्नी माना गया है और इनके मूल स्वरुप श्री सावित्री देवी है।

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धर्म शास्त्रों मां गायत्री को गायत्री मंत्र की अधिष्ठात्री देवी और वेदमाता भी कहा गया है।मां गायत्री माता सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी का अवतार भी हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में मां गायत्री को समस्त सात्विक गुणों का रूप कहा गया है। हिंदू धर्म शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जाप को जीवन के लिए आवश्यक बताया गया है। हिंदू धर्म में चार वेद हैं जिनका नाम है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। इन सबमें ही वेदमाता गायत्री और गायत्री मंत्र के जप का उल्लेख मिलता है। यह भी माना जाता है कि मां गायत्री भक्तों के दुखों को हरने वाली हैं।

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ- 20 जून 2021 दिन रविवार शाम 04 बजकर 21 मिनट से
उदया तिथि 21 जून को है इसलिए गायत्री जयंती आज मनाई जा रही है।

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त- 21 जून 2021 दिन सोमवार दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक 

ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04 बजकर 04 मिनट से लेकर 04 बजकर 44 मिनट तक

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अभिजित मुहूर्त- प्रातः 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक

गायत्री मंत्र का अर्थ

ॐ – ईश्वर , भूरू – प्राणस्वरूप , भुवरू – दुरूखनाशक, स्वरू – सुख स्वरूप, तत् – उस , सवितुरू – तेजस्वी, वरेण्यं – श्रेष्ठ, भगर्रू – पापनाशक, देवस्य – दिव्य, धीमहि – धारण करे, धियो – बुद्धि ,यो – जो, नरू – हमारी , प्रचोदयात् – प्रेरित करे. इसे अगर जोड़कर देखा जाए तो इसका अर्थ होगा- श्उस, प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुख स्वरुप, तेजस्वी, श्रेष्ठ, पापनाशक, दिव्य परमात्मा (ईश्वर) को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें. जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

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