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गोधरा कांड: 19 साल पहले तड़प-तड़प कर जिंदा जल गए थे 59 श्रद्धालु, हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को लगी थी सेंध

By आराधना शर्मा 
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 गोधरा: आज 27 फरवरी 2002 वो काली तारीख है, जिसे  याद करके हर किसी की रूह कांप जाती है। जिसकी कसक आज भी मन में है। इस दिन गुजरात के गोधरा में एक ट्रेन को मुस्लिम भीड़ ने आग लगा दी थी। इस घटना में अयोध्या से वापस आ रहे 59 कार सेवकों की मौत हो गई थी और इसी घटना के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे थे।

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आपको बता दें, इस आग की लपट इतनी भीषण थी, जिसने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे को भी जला डाला था और पूरा गुजरात भभक उठा था। गुजरात में स्थित गोधरा शहर में एक कारसेवको से भरी रेलगाड़ी में मुस्लिम समुदाय द्वारा पेट्रोल डालकर आग लगा दिए जाने से 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी।

28 फरवरी 2002 तक, 71 लोग आगजनी, दंगा और लूटपाट के इल्जाम में हिरासत में लिए गए थे। प्राथमिकी के अनुसार, 1540 लोगों की एक उग्र भीड़ ने 27 फरवरी को इस हमले को अंजाम दिया था, जब साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन, गोधरा स्टेशन से निकली थी।

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अहमदाबाद को जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन से रवाना ही हुई थी कि किसी ने चेन खींचकर ट्रेन रोक दी और फिर पथराव के बाद ट्रेन के एक डिब्बे को मुस्लिमों की उग्र भीड़ ने आग के हवाले कर दिया गया था। इस दर्दनाक घटना में 59 लोग बुरी तरह तड़प-तड़प कर मर गए थे, जिसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे थे। गोधरा नगर पालिका के अध्यक्ष और कांग्रेस अल्पसंख्यक सयोजक मोहम्मद हुसैन कलोटा को मार्च में अरेस्ट किया गया था।

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