सूबे के सरकारी विभागों को भले ही वित्त विभाग की तरफ से बजट का आवंटन कर दिया गया हो लेकिन जब जितनी राशि की आवश्यकता विभागों को होगी वह आसानी से नहीं मिल सकेगी।
भोपाल। सूबे के सरकारी विभागों को भले ही वित्त विभाग की तरफ से बजट का आवंटन कर दिया गया हो लेकिन जब जितनी राशि की आवश्यकता विभागों को होगी वह आसानी से नहीं मिल सकेगी। दरअसल वित्त विभाग ने आय और व्यय के लिए
संतुलन बनाये रखने की व्यवस्था की है इसलिए पहले संबंधित विभागों को सरकारी खजाने से रकम निकालने के लिए न केवल आय व्यय का हिसाब देना होगा वहीं रकम निकालने के लिए अनुमति भी लेना होगी।
इसके तहत दो श्रेणियां तय की गई हैं। मुक्त श्रेणी में शत प्रतिशत रकम विभागों को मिलेगी। पूरा बजट मिलेगा। दूसरी श्रेणी में वित्त विभाग से अनुमति के बाद ही विभाग रकम खर्च कर सकेंगे। इसमें सरकारी योजनाएं भी शामिल हैं। विभागों को तय बजट राशि तीन-तीन माह में मिलेगी। वित्त ने सभी विभागों से कहा है कि यदि त्रैमासिक व्यय सीमा में कुछ संशोधन करना चाहें तो 15 अप्रैल तक प्रस्ताव भेज सकते हैं। राज्य सरकार ने 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के बिलों के भुगतान पर रोक लगा दी है। जरूरी हुआ तो भुगतान के लिए वित्त विभाग की अनुमति लेना होगी। निर्देश में कहा गया है कि यह प्रतिबंध निर्माण कार्य, केंद्र की सहायता से संचालित योजनाओं और केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में लागू नहीं होगा।
अनुमति के बाद ही खर्च की छूट
मुख्यमंत्री समृद्ध परिवार योजना, नगरीय क्षेत्रों में मेट्रोपॉलियन प्राधिकरणों का गठन, कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास निर्माण, निजी निवेश से शासकीय संपत्ति का निर्माण, सीएम केयर योजना, स्वास्थ्य एवं आंगनबाड़ी सेवाओं के लिए एकीकृत अधोसंरचना, वृंदावन ग्राम योजना, डेयरी विकास योजना, फिल्म सिटी योजना, टाइगर रिजर्व के अंतर्गत बफर क्षेत्रों का विकास, लोकमाता देवी अहिल्या बाई प्रशिक्षण कार्यक्रम, मुयमंत्री मजरा टोला सड़क योजना, सिंचाई एवं पेयजल योजना का सौर ऊर्जीकरण, परपरागत खेलों को प्रोत्साहन।