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कोरोना टीकाकरण को लेकर सरकार का निर्देश- गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाएं अभी वैक्सीन न लगवाएं

By टीम पर्दाफाश 
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नई दिल्ली: 16 जनवरी से भारत में दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का आगाज हो रहा है। टीकाकरण अभियान से पहले सरकार ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि किन लोगों को अभी टीका नहीं लगवाना है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 टीकों की विनिमयशीलता (इंटरचेंजिंग) की अनुमति नहीं है और गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाएं टीके न लगवाएं क्योंकि उन्हें अभी तक किसी भी कोरोना वायरस-रोधी टीके के क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा नहीं बनाया गया है। बकायदा इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को पत्र लिखा है और यह एहतियात बरतने को दिशा-निर्देश जारी किया है।

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मंत्रालय ने सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेश को लिखे पत्र में आपातकालीन परिस्थितियों में इनके इस्तेमाल को रेखांकित करते हुए कहा कि कोविड-19 टीके केवल 18 साल या उससे अधिक आयु के लोगों के लिए हैं। आवश्यकता पड़ने पर कोविड-19 टीकों और अन्य टीकों के बीच कम से कम 14 दिन का अंतराल लिया जा सकता है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव मनोहर अगनानी द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है, ‘कोविड-19 टीकों की विनिमयशीलता (एक टीका अलग, दूसरा अलग) की अनुमति नहीं है। दूसरी खुराक भी उसी टीके की लेनी होगी, जो पहले टीके की ली गई है।’ पत्र में कहा गया है, ‘गर्भवती तथा दूध पिलाने वाली महिलाओं को अभी तक किसी भी टीके के क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा नहीं बनाया गया है। लिहाजा गर्भवती या अपने गर्भवती होने को लेकर अनिश्चित महिलाएं इस समय कोविड-19 टीके न लगवाएं।’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगामी 16 जनवरी को देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत करेंगे और इसके मद्देनजर सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में टीकों की पर्याप्त खुराकें भेज दी गई हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। बयान में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16 जनवरी को सुबह 10.30 बजे वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत करेंगे। यह विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान होगा।’ इस कार्यक्रम से सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के 3006 स्थान डिजिटल माध्यम से जुडेंगे और हर केंद्र पर 100 लाभार्थियों का टीकाकरण होगा।

बयान में कहा गया कि यह टीकाकरण अभियान जन भागीदारी के सिद्धांत के तहत प्राथमिकता के आधार पर चलाया जाएगा जिसमें पहले चरण के तहत सरकारी व निजी क्षेत्रों के स्वास्थ्यकर्मियों और आईसीडीएस कर्मियों का टीकाकरण किया जाएगा। बयान के मुताबिक, नागर विमानन मंत्रालय के सक्रिय सहयोग से सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में टीकों की पर्याप्त खुराकें भेजी गई हैं तथा राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने इन्हें सभी जिलों में भेज दिया है। टीकाकरण अभियान को सुचारू रूप से चलाने और टीका वितरण कार्यक्रम की निगरानी के लिए को-विन (कोविड वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क) नामक एक डिजिटल मंच भी तैयार किया गया है।

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सरकार की ओर से कोविड-19 महामारी, टीकाकरण और इसके डिजिटल प्लेटफॉर्म से संबंधित सवालों के समाधान के लिए 24 घंटे और सातों दिन संचालित होने वाले कॉल सेंटर और हेल्पलाइन 1075 स्थापित की गई है। इससे इतर, सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री इस दौरान वीडियो कांफ्रेंस के जरिए देश के विभिन्न हिस्सों के कुछ स्वास्थ्यकर्मियों के साथ संवाद भी कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और सफदरजंग अस्पताल के अधिकारियों ने कहा है कि वे दोतरफा संवाद के लिए आवश्यक सभी इंतजाम के साथ तैयार हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री 16 जनवरी को देशव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत करेंगे। यह विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान होगा। इसलिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रपति कार्यालय से विमर्श के बाद यह निर्णय लिया है कि पोलियो टीकाकरण दिवस, जिसे पोलियो रविवार के रूप में मनाया जाता है, को बदलकर 31 जनवरी कर दिया जाए।’ देश में कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान के पहले दिन 16 जनवरी को करीब तीन लाख स्वास्थ्य कर्मियों को 2,934 केंद्रों पर टीके लगाए जाएंगे। प्रत्येक टीकाकरण सत्र में अधिकतम 100 लाभार्थी होंगे।

सरकार द्वारा खरीदे गए कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके की 1.65 करोड़ खुराकें उनके स्वास्थ्यकर्मियों के आंकडों के अनुसार राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को आवंटित की गई है। मंत्रालय ने कहा, ‘इसलिए किसी भी राज्य से भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं है। यह आरंभिक स्तर पर दी गई खुराक है। इसलिए कम आपूर्ति किए जाने को लेकर जताई जा रही चिंताए निराधार और दुर्भाग्यपूर्ण हैं।’ राज्यों को सलाह दी गई है कि वे 10 फीसदी आरक्षित/बर्बाद खुराकों और रोजाना प्रत्येक सत्र में औसतन 100 टीकाकरण को ध्यान में रखते हुए टीकाकरण सत्रों का आयोजन करें। राज्यों से यह भी कहा गया है कि प्रत्येक टीका केंद्र पर हड़बड़ी में तय सीमा से ज्यादा संख्या में लोगों को न बुलाएं।

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