भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर (Pakistan Army Chief General Asim Munir) को आईना दिखाया है। कश्मीर के मुद्दे पर मुनीर के हालिया बयान पर पलटवार करते हुए विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने कहा कि ‘जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
नई दिल्ली : भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर (Pakistan Army Chief General Asim Munir) को आईना दिखाया है। कश्मीर के मुद्दे पर मुनीर के हालिया बयान पर पलटवार करते हुए विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने कहा कि ‘जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। कश्मीर के साथ पाकिस्तान का रिश्ता सिर्फ उसे खाली करना है।
मुनीर ने हाल ही में ‘हम हिंदू नहीं हैं’ जैसे बयान देकर एक बार फिर साबित कर दिया है कि पाकिस्तान न सिर्फ फेल स्टेट बन चुका है। बल्कि अब उसकी सेना का प्रमुख भी अपनी नाकामियों को ढकने के लिए नफरत की राजनीति का सहारा ले रहा है। भारत सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, मुनीर की बयानबाजी उसकी हताशा का नतीजा है, जो भारत के खिलाफ मुस्लिम कट्टरपंथियों को उकसाकर एक नया प्रोपेगैंडा खड़ा करना चाहता है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma) ने भी जनरल मुनीर के बयान को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख खुद दो देशों के बीच वैचारिक खाई को इतना स्पष्ट कर रहे हैं, तो भारत को भी अब किसी ‘भाईचारे’ की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अब अपने धर्म, अपनी सभ्यता और अपनी ताकत पर गर्व करना चाहिए, ताकि भारत को कोई आंख उठाकर न देख सके।
26/11 धमाकों के आरोपी तहव्वुर राणा के अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ‘पाकिस्तान बहुत कोशिश कर सकता है, लेकिन वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में उसकी साख कम नहीं होगी। राणा का प्रत्यर्पण पाकिस्तान को याद दिलाता है कि उसे मुंबई हमलों के अन्य अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की जरूरत है, जिन्हें वह अभी भी बचा रहा है।
मुनीर की थ्योरी साफ है- हिंदू और मुसलमान दो अलग सभ्यताएं हैं, और पाकिस्तान उसी ‘टू नेशन थ्योरी’ की उपज है। वह अपने भाषणों से यह बताने में जुटे हैं कि भारत मुस्लिम विरोधी है। ताकि पाकिस्तान के भीतर चल रही असल समस्याओं जैसे बलूचिस्तान की बगावत, महंगाई, आर्थिक बदहाली और आतंकवाद से ध्यान हटाया जा सके।
सूत्रों का कहना है कि मुनीर भारत के वक्फ एक्ट में हालिया बदलावों और उससे जुड़े विरोधों को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके लिए यह मौका है भारत को वैश्विक मंच पर एक ‘इस्लाम विरोधी’ राष्ट्र के रूप में पेश करने का। इसके जरिए वे लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों को भारत के खिलाफ फिर से सक्रिय करना चाहते हैं। साथ ही, वे बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में भी कट्टरपंथ को हवा देकर अपना प्रभाव बढ़ाने की जुगत में हैं।
‘हम हिंदुओं से हर चीज में अलग’
पाकिस्तान में ओवरसीज़ पाकिस्तानियों के एक कार्यक्रम में मुनीर ने कहा कि हर पाकिस्तानी को अपने बच्चों को बताना चाहिए कि पाकिस्तान क्यों बना? क्योंकि हम हिंदुओं से हर चीज़ में अलग हैं। उन्होंने बलूचिस्तान में आतंकियों के खिलाफ सख्ती की बात भी दोहराई, लेकिन हकीकत ये है कि बलूचिस्तान में जनता अब पाकिस्तान से आजादी की मांग कर रही है और वहां सेना को हर मोर्चे पर मुंह की खानी पड़ रही है।
सांप्रदायिक नैरेटिव खड़ा करना चाह रहा PAK
भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक, मुनीर की रणनीति अब एक बड़ा सांप्रदायिक नैरेटिव खड़ा करने की है। ताकि भारत को मुस्लिम विरोधी दिखाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह प्रोपेगैंडा दुनिया को गुमराह कर पाएगा? जब खुद पाकिस्तान की सरकार जनता के भरोसे से दूर हो, अर्थव्यवस्था कर्ज में डूबी हो और सेना आतंरिक विद्रोह से जूझ रही हो, तो नफरत फैलाने से क्या फायदा होगा?
जनरल मुनीर के ये बयानों से यह साफ हो जाता है कि पाकिस्तान अब सिर्फ सीमा पर गोलियां नहीं चलाना चाहता, बल्कि विचारधारा के स्तर पर भी भारत से एक ‘धार्मिक युद्ध’ छेड़ने की कोशिश में है। लेकिन यह भी तय है कि भारत अब कमजोर नहीं है। वो न सिर्फ सैन्य ताकत में मजबूत है, बल्कि विचार की लड़ाई में भी कहीं आगे खड़ा है।