महंगाई से मुश्किल में केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) फसती नजर आ रही है। देश के सरकारी गोदामों में अनाज का स्टॉक (Wheat-Rice Stock) इस वक्त पिछले पांच सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। 800 मिलियन की आबादी को सब्सिडी पर अनाज देने वाली सरकारी मशीनरी पर अब आने वाले दिनों में काफी दबाव बढ़ने वाला है।
नई दिल्ली। महंगाई से मुश्किल में केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) फसती नजर आ रही है। देश के सरकारी गोदामों में अनाज का स्टॉक (Wheat-Rice Stock) इस वक्त पिछले पांच सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। 800 मिलियन की आबादी को सब्सिडी पर अनाज देने वाली सरकारी मशीनरी पर अब आने वाले दिनों में काफी दबाव बढ़ने वाला है।
किसानों ने अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं की है। इस वजह से अगली फसल 15 मार्च के बाद ही बाजारों में आने की उम्मीद है। रोजमर्रा की चीजों, सब्जियों समेत अन्य सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं। एफसीआई ( FCI) के आंकड़े बताते हैं इस मौसम ने सर्दियों में बोई गई गेहूं और चावल की फसल दोनों को खराब कर दिया है, जिससे कीमतें 22 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं।
भारतीय खाद्य निगम ( FCI) ने गुरुवार को डेटा जारी करते हुए कहा कि 1 अक्टूबर तक अनाज का कुल स्टॉक 51.14 मिलियन टन रहा। जबकि, पिछले साल यह 800 टन से ज्यादा था। जिसमें गेहूं का स्टॉक 227.5 लाख टन है। वहीं, दूसरी ओर बफर स्टॉक (Buffer Stock) और चावल भंडारण (Rice Stock) में थोड़ी वृद्धि हुई है। 205.2 लाख टन के साथ बफर स्टॉक (Buffer Stock) में 66 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह चावल का स्टॉक (Rice Stock) आवश्यक स्तर से लगभग 2.8 गुना अधिक है। एफसीआई ( FCI) का मानना है कि चार साल पहले की तुलना में सरकारी गोदामों में इससे ज्यादा अनाज उपलब्ध रहता था। इस बार नाकाफी है।
14 साल के निचले स्तर पर गेहूं का स्टॉक
चावल का स्टॉक (Rice Stock) घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, लेकिन गेहूं का स्टॉक (Wheat Stock)14 साल के निचले स्तर पर आ गया है। दरअसल, सरकार किसानों से अपने लक्ष्य का लगभग आधा ही गेहूं खरीद सकी है। इसके पीछे बड़ी वजह है यूक्रेन-रूस युद्ध (Ukraine-Russia War) के चलते उच्च निर्यात मांग के कारण किसान निजी व्यापारियों को स्टॉक बेच रहे हैं।