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Hartalika Teej 2024 : हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की करें आरती , मिलेगा मनचाहा वरदान

हिंदू धर्म में सुहागिन महिलांए पति की लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखतीं है।हिंदू धर्म में हरतालिका तीज की विशेष धार्मिक मान्यता है।हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Hartalika Teej 2024 :  हिंदू धर्म में सुहागिन महिलांए पति की लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखतीं है।हिंदू धर्म में हरतालिका तीज की विशेष धार्मिक मान्यता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस साल 6 सितंबर, शुक्रवार के दिन हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा. इस व्रत के दिन कई शुभ योग (Shubh Yog) बन रहे हैं। इस दिन शुक्ल योग है जो रात 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा और साथ ही गर, वणिज और हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है।  इस साल हरतालिका तीज पर चंद्रमा तुला राशि में रहने वाले हैं जिससे पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है।

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इस दिन महिलाएं रेत या मिट्टी से भगवान शिव और देवी पार्वती की अस्थायी प्रतिमाएं बनाती हैं। फिर मूर्तियों की पूजा एक विशेष अनुष्ठान में की जाती है ताकि सुखी और पूर्ण वैवाहिक जीवन की प्रार्थना की जा सके। आमतौर पर हरतालिका पूजा के लिए सुबह का समय सबसे शुभ माना जाता है। हालाँकि, अगर सुबह की पूजा संभव नहीं है, तो शाम को प्रदोष का समय भी शिव-पार्वती पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है।

हरतालिका तीज की आरती  
भगवान शिव की आरती
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।

 

 

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