उद्धव गुट (Uddhav Thackeray Faction) को बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court ) ने शुक्रवार को बड़ी राहत देते हुए शिवाजी पार्क (Shivaji Park) में दशहरे पर रैली (Dussehra Rally) करने की इजाजत दे दी है। इसके साथ ही शिंदे गुट (Shinde Faction) को परमिशन देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद उन्हें कहीं और रैली करनी होगी।
मुंबई। उद्धव गुट (Uddhav Thackeray Faction) को बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court ) ने शुक्रवार को बड़ी राहत देते हुए शिवाजी पार्क (Shivaji Park) में दशहरे पर रैली (Dussehra Rally) करने की इजाजत दे दी है। इसके साथ ही शिंदे गुट (Shinde Faction) को परमिशन देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद उन्हें कहीं और रैली करनी होगी।
बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court ) ने शिवसेना (Shiv Sena) को आदेश दिया है कि वह बीएमसी के वार्ड ऑफिसर (Ward Officer of BMC) के पास इस आदेश को लेकर जाए और रैली करने की परमिशन लें। अदालत ने कहा है कि सरकार की ओर से जारी 2016 के आदेश के मुताबिक यह परमिशन दी जाएगी। यह नहीं पूरे आयोजन की वीडियोग्राफी कराई जाएगी और यदि कुछ भी खामी पाई जाती है या फिर कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा होती है तो भविष्य में अनुमति देने पर विचार किया जाएगा।
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court ) ने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली शिवसेना द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया और 5 अक्टूबर को दादर के शिवाजी पार्क में अपनी वार्षिक दशहरा रैली (Dussehra Rally) आयोजित करने की पार्टी की अनुमति से इनकार करने के बीएमसी (BMC) के फैसले को खारिज कर दिया।
बीएमसी ने किया अपनी शक्ति का दुरुपयोग : बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court ) का कहना है, ‘हमारे विचार में, आक्षेपित आदेश कानून के तहत दी गई शक्ति का स्पष्ट दुरुपयोग है यह स्पष्ट रूप से इस आधार पर था कि क्योंकि एक अन्य व्यक्ति द्वारा एक और आवेदन दायर किया गया था। यह निगम का मामला नहीं है कि पिछले कई दशकों में दशहरा मेला (Dussehra Rally) के कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति बनी थी। हम संतुष्ट हैं कि इस मामले में बीएमसी (BMC) ने कमजोर आधार पर अनुमति देने से इनकार करके शक्ति का दुरुपयोग किया है कि एक और आवेदन था और कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा करेगा। हमारे विचार में, याचिकाकर्ताओं ने बीएमसी (BMC) द्वारा पारित आदेश को रद्द करने के लिए मामला बनाया। हम तदनुसार मानते हैं कि याचिकाकर्ता द्वारा आवेदन के आधार पर बीएमसी (BMC) द्वारा पारित 21 सितंबर का आदेश रद्द किया जाता है और अपास्त किया जाता है।’