costan कंपनी को कुछ वर्ष पूर्व अभिषेक मिश्रा नाम के शख्स ने बनाई थी। बिना अनुभव के इस कंपनी को कूड़ा निस्तारण का काम अधिकारियों की मेहरबानी से मिल गया। कंपनी ने कूड़ा निस्तारण की बजाए उसे गड्ढों में डालना शुरू कर दिया। यही नहीं ये कंपनी गंगा और यमुना नदी में भी कूड़ा को डालने का काम कर रही है।
लखनऊ। कूड़ा निस्तारण के नाम पर सरकारी राजस्व की खुली लूट करने वाली Ecostan कंपनी पर उत्तर प्रदेश नगर विकास विभाग पूरी तरह से मेहरबान है। विभाग के प्रमुख सचिव से लेकर आलाधिकारियों की मेहरबानी से Ecostan कंपनी के मालिक मनमाने तरीके से काम करने में जुटे हुए हैं। इस कंपनी की कार्यप्रणाली को लेकर लगातार सवाल भी उठे हैं और शिकायत भी हुई लेकिन उत्तर प्रदेश नगर विकास विभाग पूरी तरह से मौन हो गया है। दरअसल, Ecostan कंपनी अचानक से उभरी और पूरे सिस्टम को अपने अधीन कर लिया और कुछ वर्षों में ही कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में पहुंच गया। ये सब यूं ही नहीं हुआ इसके पीछे कंपनी की बड़ी धोखाधड़ी, अधिकारियों की कंपनी पर मेहरबानी और शिकायतों को अनदेखा करके हुआ है।
दरअसल, Ecostan कंपनी को कुछ वर्ष पूर्व अभिषेक मिश्रा नाम के शख्स ने बनाई थी। बिना अनुभव के इस कंपनी को कूड़ा निस्तारण का काम अधिकारियों की मेहरबानी से मिल गया। कंपनी ने कूड़ा निस्तारण की बजाए उसे गड्ढों में डालना शुरू कर दिया। यही नहीं ये कंपनी गंगा और यमुना नदी में भी कूड़ा को डालने का काम कर रही है। इसकी तस्वीर और वीडियो भी सामने आ चुके हैं, जो ड्रोन कैमरे के द्वारा लिए गए हैं। यही नहीं Ecostan कंपनी की तरफ से फर्जी बिल भी खूब बनाए जाते हैं, जिसका भुगतान भी आसानी से हो जाता है।
गंगा में कूड़ा डालने की भी हुई शिकायत
Ecostan कंपनी ने कूड़ा निस्तारण की बजाए उसे गंगा नदी में ही बहाना शुरू कर दिया। इसकी शिकायत होने के बाद प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने इस कंपनी का भुगतान रूकवा दिया और कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने तक की बात कह दी। लेकिन कुछ ही दिनों बाद ऐसा क्या हुआ कि इस कंपनी को का वहां काम छीना और नई जगह पर मिल गया। बताया जा रहा है कि, अब Ecostan कंपनी को पुराने पेमेंट देकर नए सिरे से काम दिया जाने वाला है, जबकि SLTC की नियामावली कहती है कि ऐसी विवादित कंपनी जो फर्जी बैंक गांरटी से लेकर अन्य राज्यों में ब्लैकलिस्टेड हो चुकी है उसको काम देने का मतलब है कि जो भी भुगतान होता है वो 50/50 प्रतिशत हिस्सों में बंटता है। दरअसल, ये कंपनी बिना काम किए हुए ही आसानी से भुगतान मिल जाता है।
आखिर कैसे साफ होगी गंगा और युमना नदी
कूड़ा निस्तारण कंपनियों की मनमानी और अनदेखी के कारण हमारी गंगा और यमुना जैसी नदियां दूषित होती जा रही हैं। मोदी सरकार ने इन नदियों को साफ करने के लिए 20 हजार करोड़ से ज्यादा लगाया है लेकिन कूड़ा निस्तारण करने वाली कंपनियां उन्हीं शहर का कूड़ा उसमें डालकर उसे दूषित कर रही हैं और उसके बदले कूड़े के निस्तारण करने वाली कंपनियां साल भर में हजारों करोड़ कमा भी रही हैं।
पांडे और द्विवेदी कंपनी के लिए निभा रहे अहम भूमिका
दरअसल, इस कंपनी को काम और भुगतान दिलाने के नाम पर एक पांडेय और द्विवेदी अहम भूमिका निभा रहे हैं। बिना काम के भी ये लोग आसानी से इस कंपनी को करोड़ों का भुगतान करा रहे हैं, जिसमें इनके हिस्से की भी मोटी रकम इन्हें मिल रही है।
कई और कंपनियों के कारनामें होंगे उजागर
कूड़ा निस्तारण के नाम पर उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज समेत कई और अन्य जिले हैं, जहां पर बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है। पर्दाफाश न्यूज के हाथ इसके कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। पर्दाफाश न्यूज अब सिलसिलेवार तरीके से कूड़ा निस्तारण के नाम पर करोड़ों की सरकारी लूट करने वाली कंपनियों का पर्दाफाश करेगी।