Monsoon Update: इस साल केरल (Kerala) में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन में थोड़ी देरी होने की संभावना है। मौसम विभाग कार्यालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि मानसून (Monsoon) के चार जून को दस्तक देने की संभावना है। दक्षिणी राज्य में मानसून पिछले साल 29 मई, 2021 में 3 जून और 2020 में 1 जून को पहुंचा था।
Monsoon Update: इस साल केरल (Kerala) में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन में थोड़ी देरी होने की संभावना है। मौसम विभाग कार्यालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि मानसून (Monsoon) के चार जून को दस्तक देने की संभावना है। दक्षिणी राज्य में मानसून पिछले साल 29 मई, 2021 में 3 जून और 2020 में 1 जून को पहुंचा था। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पिछले महीने ही कहा था कि, अल नीनो (Al Nino) की स्थिति के बावजूद भारत में मानसून (Monsoon) के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है।
भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून (South West Monsoon) का आगे बढ़ना केरल के ऊपर मानसून (Monsoon) के आरंभ से चिन्हित होता है। यह एक गर्म और शुष्क मौसम से वर्षा के मौसम में रूपांतरण को निरुपित करने वाला एक महत्वपूर्ण संकेत है। जैसे जैसे मानसून (Monsoon) उत्तर दिशा में आगे की ओर बढ़ता है, इन क्षेत्रों को चिलचिलाती गर्मी के तापमान से राहत मिलने लगती है। हालांकि अभी देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी रहेगा।
हीटवेव की उम्मीद नहीं, लेकिन तापमान बढ़ेगा
आईएमडी अधिकारी कुलदीप श्रीवास्तव (IMD officer Kuldeep Srivastava) ने बताया कि मई के पहले दो हफ्तों में हीटवेव की स्थिति पश्चिमी विक्षोभ के कारण कम गंभीर थी जिसने उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों को प्रभावित किया। जैसा कि अगला पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) उत्तर पश्चिम भारत में आ रहा है। अगले 7 दिनों तक, हम वहां हीटवेव की स्थिति की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, लेकिन तापमान अधिक होगा, 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास तक।
तेज रफ्तार से चल रही हवाएं
उन्होंने कहा कि हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राजस्थान में धूल भरी हवाएं चल रही हैं। इसके पीछे मुख्य कारण ये है कि एक पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) गुजर चुका है और तेज हवाएं चल रही हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि इसके अलावा, पिछले सप्ताह तापमान काफी अधिक था, ज्यादातर हिस्सों में ये 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ऊपर रहा। वातावरण शुष्क है और 40-45 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं सतह से धूल उठा रही हैं और इसे वायुमंडल में फैला रही हैं। मुख्य रूप से ये 1-2 किमी की ऊंचाई तक फैल रही हैं।