मौसम की वजह से उत्पादन, ट्रांसपोर्टेशन, महंगा ईधन, मंडियों की खस्ताहाली और कालाबाजारी शामिल है। सब्जी के आढ़ती का भी मानना है कि इस वजह से ही सब्जियों की कीमतों में बढ़ोत्तरी होती है।
बारिश और गर्मी से चारों तरफ हाल बेहाल कर रखा है। इसके चलते मंहगाई दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। इस महंगाई का सबसे ज्यादा असर सब्जियों, दाल और अन्य सामानों पर पड़ रहा है। कभी टमाटर कभी दाल तो कभी अन्य चीजों की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। ऊपर से चारो तरफ बारिश का कहर और तबाही मचा रहा है।
मौसम की वजह से उत्पादन, ट्रांसपोर्टेशन, महंगा ईधन, मंडियों की खस्ताहाली और कालाबाजारी शामिल है। सब्जी के आढ़ती का भी मानना है कि इस वजह से ही सब्जियों की कीमतों में बढ़ोत्तरी होती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस साल भीषण गर्मी और मई माह के आस पास बेमौसम बारश से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था। मौसम में हुए अचानक इस तरह के परिवर्तन से पैदावार में की आई है।
वहीं आम की फसल आने के बाद उत्पादक माल भेजने के लिए पहले से ही ट्रकों व दूसरे वाहनों की एक से डेढ़ महिने तक बुकिंग रहती है। जो वाहन मिलते है वो मनमाने दाम मांगते है। ऊपर से मंडियों की खस्ताहाल भी काफी हद तक जिम्मेदार है।
जरा सी बारिश मात्र से ही मंडियों में सब्जियां उतराने लगती हैं। बारिश में माल पहुंचते पहुंचते तीस फीसदी तक सड़ जाता है। मौसम की मार का फायदा उठाने से कालाबाजारी वाले भी नहीं चूकते है।
अधिक फायदा पाने के चक्कर में माल को स्टोर करने लगते है। मंडियों में आढ़तियों को सब्जी अधिक दामों पर बेचते हैं। इन वजहों के चलते सब्जियों, दालों और अन्य सामग्रियों के दाम आसमान छूने लगते हैं। चारों तरफ बारिश का कहर बरप रहा है। ऐसे में महंगाई और रुला सकती है।