कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा कि, 2014 के बाद से सभी संवैधानिक निकायों की पवित्रता, प्रतिष्ठा, स्वायत्तता और प्रोफेशनलिज्म को बुरी तरह से डैमेज किया गया है। लेकिन समय-समय पर स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को भी कहने के लिए मजबूर होना पड़ता है कि अब बहुत हो गया।
नई दिल्ली। यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन (UPSC) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने अपना कार्यकाल समाप्त होने के पांच साल पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कार्यकाल 2029 में खत्म होना था। उन्होंने “व्यक्तिगत कारणों” से इस्तीफा दिया है। इसको लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, कारण चाहे जो भी बताए जाएं, यह स्पष्ट रूप से लगा रहा था कि यूपीएससी के मौजूदा विवाद को देखते हुए उन्हें बाहर किया जाएगा।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा कि, 2014 के बाद से सभी संवैधानिक निकायों की पवित्रता, प्रतिष्ठा, स्वायत्तता और प्रोफेशनलिज्म को बुरी तरह से डैमेज किया गया है। लेकिन समय-समय पर स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को भी कहने के लिए मजबूर होना पड़ता है कि अब बहुत हो गया।
उन्होंने आगे लिखा कि, नरेंद्र मोदी 2017 में गुजरात से अपने पसंदीदा ‘शिक्षाविदों’ में से एक को यूपीएससी सदस्य के रूप में लाए और उन्हें 2023 में छह साल के कार्यकाल के लिए अध्यक्ष बनाया। लेकिन इस तथाकथित प्रतिष्ठित सज्जन ने अब अपना कार्यकाल समाप्त होने से पांच साल पहले ही इस्ती़फा दे दिया है। कारण चाहे जो भी बताए जाएं, यह स्पष्ट रूप से लगा रहा था कि यूपीएससी के मौजूदा विवाद को देखते हुए उन्हें बाहर किया जाएगा। ऐसे कई और व्यक्तियों ने सिस्टम को आबाद किया है। उदाहरण के लिए, एनटीए के अध्यक्ष अब तक इससे अछूते क्यों हैं?
बता दें कि, मनोज सोनी ने 2017 से UPSC सदस्य के रूप में कार्य करने के बाद 16 मई, 2023 को UPSC अध्यक्ष का पदभार संभाला था, जिसका कार्यकाल छह साल का होता है। उन्होंने कथित तौर पर लगभग एक महीने पहले राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इसे स्वीकार किया जाएगा या नहीं।