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महाराष्ट्र चुनाव में लाल Vs सफेद प्याज का मुद्दा छाया, जयराम रमेश बोले- ‘नॉन बायोलॉजिकल’ पीएम बताएं ‘गुजरात के सफेद प्याज उत्पादक किसानों को तरजीह क्यों ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) महाराष्ट्र रैली कर में महायुति (Mahayuti)  के लिए वोट मांग रहे हैं। धुले की रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि महायुति का वचननामा शानदार रहा है। उन्होंने कहा कि महायुति (Mahayuti) ने जो वायदा किया उसे पूरा किया, लेकिन कुछ लोग आखों में धूल फेंकने का कारोबार कर रहे हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) महाराष्ट्र रैली कर में महायुति (Mahayuti)  के लिए वोट मांग रहे हैं। धुले की रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि महायुति का वचननामा शानदार रहा है। उन्होंने कहा कि महायुति (Mahayuti) ने जो वायदा किया उसे पूरा किया, लेकिन कुछ लोग आखों में धूल फेंकने का कारोबार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे वचननामे में सबके लिए कुछ न कुछ है, लेकिन महाअघाड़ी की गाड़ी में न ब्रेक है ना पहिया है, इसलिए वो लूट की राजनीति और झूठ की राजनीति कर रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पर हमला करते हुए कुछ कठिन सवाल पूछे हैं।

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कांग्रेस नेताओं ने पूछा है कि गुजरात के सफेद प्याज उत्पादक किसानों को महाराष्ट्र के लाल प्याज उत्पादक किसानों की तुलना में तरजीह क्यों दी जा रही है? भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने महाराष्ट्र में आदिवासियों के वन अधिकारों को कमजोर क्यों किया है। धुले और नासिक में प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों से पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Congress General Secretary Jairam Ramesh) ने ये सवाल दागे हैं। उन्होंने पूछा कि गुजरात के सफेद प्याज उत्पादक किसानों को महाराष्ट्र के लाल प्याज उत्पादक किसानों की तुलना में तरजीह क्यों दी जा रही है?

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि दिसंबर 2023 से महाराष्ट्र के प्याज किसान मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा प्याज निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों से परेशान हैं। उन्होंने बताया कि प्याज की खेती के मौसम में राज्य के किसानों को अपर्याप्त वर्षा और जल संकट का सामना करना पड़ा तथा अधिकतर किसान अपनी सामान्य फसल का केवल 50 प्रतिशत ही उत्पादन कर पाए।

रमेश ने कहा कि जब प्याज की फसल तैयार हो गई, तो किसानों को मनमाने ढंग से लगाए गए निर्यात प्रतिबंध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण बिक्री की कीमतें बहुत कम हो गईं। नतीजतन, किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद केंद्र सरकार ने सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति दे दी, जो मुख्य रूप से गुजरात में उगाया जाता है।

उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से लाल प्याज की खेती करने वाले महाराष्ट्र के किसान महीनों तक इससे वंचित रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने कहा कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध हटा लिया गया है लेकिन निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क अब भी लागू है। रमेश ने ‘X’ पर अपने पोस्ट में कहा​ कि ‘क्या ‘नॉन बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री यह बता सकते हैं कि उन्होंने पक्षपात क्यों किया? उन्होंने महाराष्ट्र के प्याज किसानों की इतनी उपेक्षा क्यों की, जबकि गुजरात के प्याज किसानों की चिंताओं को प्राथमिकता दी?’

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उन्होंने यह भी पूछा कि भाजपा ने महाराष्ट्र में आदिवासियों के वन अधिकारों को क्यों कमजोर किया। रमेश ने कहा कि 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम (FRA) पारित किया था, जिसने आदिवासी और वनवासी समुदायों को अपने स्वयं के वनों का प्रबंधन करने तथा उनके द्वारा एकत्रित वन उपज से आर्थिक लाभ प्राप्त करने का कानूनी अधिकार प्रदान किया था।

कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने एफआरए (FRA) के कार्यान्वयन में बाधा डाली, जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभ से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि दायर किए गए 4,01,046 व्यक्तिगत दावों में से केवल 52 प्रतिशत (2,06,620 दावे) स्वीकृत किए गए हैं, तथा वितरित भूमि स्वामित्व सामुदायिक अधिकारों के लिए पात्र 50,045 वर्ग किलोमीटर में से केवल 23.5 प्रतिशत (11,769 वर्ग किलोमीटर) को ही कवर करता है।

रमेश ने कहा कि महाराष्ट्र की महायुति सरकार (Mahayuti Government) आदिवासी समुदायों को उनके अधिकार दिलाने में क्यों विफल रही है? कांग्रेस महासचिव ने यह भी पूछा कि महायुति ने नासिक नगर निगम (Nashik Municipal Corporation) के चुनाव क्यों नहीं कराए। उन्होंने कहा कि नासिक नगर निगम (Nashik Municipal Corporation) सहित राज्य के नगर निगमों के चुनाव कराने में महायुति सरकार की विफलता लोकतंत्र और नासिक के नागरिकों के अधिकारों पर एक बड़ा हमला है।

रमेश ने कहा कि सरकार का दावा है कि चुनाव में देरी ओबीसी (OBC) आरक्षण और वार्ड परिसीमन जैसे मुद्दों के कारण हो रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि महायुति मतदाताओं का सामना करने से डर रही थी, क्योंकि उसे आशंका थी कि हार के कारण, इस साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले उसकी छवि खराब हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के अभाव में नासिक के नागरिकों को अपनी आवाज सुनाने और शिकायतों का समाधान कराने में संघर्ष करना पड़ रहा है। रमेश ने पूछा कि भाजपा ने नासिक के लोगों के साथ विश्वासघात क्यों किया? उनकी यह टिप्पणी महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार के बीच आई है। मतगणना 23 नवंबर को होगी।

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