रालोद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मंगलवार को हुई वर्चुअल बैठक में जयंत चौधरी को अध्यक्ष चुन लिया गया है। सर्वसम्मति से उन्हें पार्टी का नेता चुना गया है। जयंत चौधरी ने अध्यक्ष पद संभालते ही संयुक्त किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कार्यकर्ताओं से बुधवार को इसमें बड़ी संख्या में भाग लेने का आह्वान किया है। सरकार से मांग की है कि किसानों से वार्ता कर समस्या का जल्द कोई हल निकाले।
नई दिल्ली। रालोद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मंगलवार को हुई वर्चुअल बैठक में जयंत चौधरी को अध्यक्ष चुन लिया गया है। सर्वसम्मति से उन्हें पार्टी का नेता चुना गया है। जयंत चौधरी ने अध्यक्ष पद संभालते ही संयुक्त किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कार्यकर्ताओं से बुधवार को इसमें बड़ी संख्या में भाग लेने का आह्वान किया है। सरकार से मांग की है कि किसानों से वार्ता कर समस्या का जल्द कोई हल निकाले।
बैठक में पार्टी सुप्रीमो स्व. अजित सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। देश में फैली कोरोना महामारी को लेकर जयंत चौधरी ने चिंता जताई है। इससे निपटने के लिए गांवों में घर-घर टीकाकरण अभियान चलाए जाने की जरूरत पर बल दिया। कहा कि टीकाकरण के लिए पंजीकरण को सुलभ बनाने की भी आवश्यकता है। बैठक में राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने जयंत चौधरी का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया। पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय महासचिव मुंशीराम पाल ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया। सभी कार्यकारिणी 34 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। इसके बाद जयंत चौधरी ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने चौधरी चरण सिंह और अजित सिंह के बताए रास्ते पर चलते हुए गांव-किसानों के हित के लिए सदैव संघर्ष का संकल्प लिया।
वहीं बैठक में पंचायत चुनाव के नतीजों की समीक्षा करते हुए संतोष व्यक्त किया गया। महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात में चक्रवाती तूफान से होने वाले नुकसान पर दुख भी जाहिर किया। कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में तन-मन से जुट जाएं।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की विरासत और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह की किसानों की सियासत अब जयंत चौधरी के हाथ में है। बिना किसी सांसद-विधायक की पार्टी को मजबूती से खड़ा करना जयंत के लिए बड़ी चुनौती है। जानकार कहते हैं कि दादा और पिता की तरह किसानों की राजनीति समझने वाले जयंत को किसान आंदोलन के बाद शुरू हुई लड़ाई को जारी रखना होगा।
1999 में राष्ट्रीय लोकदल का गठन चौधरी अजित सिंह ने किया था। वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। चौ. अजित सिंह के निधन के बाद राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने आज पार्टी के सभी 37 राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की। इस बैठक में जयंत को अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा हो गई है। इस समय पार्टी में अध्यक्ष जयंत चौधरी के अलावा आठ राष्ट्रीय महासचिव, 14 सचिव, तीन प्रवक्ता और 11 कार्यकारिणी सदस्यों समेत 37 पदाधिकारी हैं। 15 साल के अपने राजनीतिक जीवन में जयंत ने पिता के बिना पहली बार कोई बैठक की है।
जयंत के लिए पार्टी को आगे बढ़ाने का ये सबसे मुश्किल दौर है। जब अजित सिंह ने चौधरी साहब की बीमारी के बाद 1986 में पार्टी की कमान संभाली थी, उस वक्त पार्टी मजबूत स्थिति में थी। अजित ने पार्टी के उस वक्त दो फाड़ होने के बावजूद खुद को राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी बनकर दिखाया था। वे सत्ता में रहे या नहीं लेकिन उनको कोई सियासत से दूर नहीं कर सका।
किसानों के दिलों में उनकी जगह और हारने के बाद भी पार्टी के वजूद को कायम रखने का जो काम उन्होंने किया वो आज तक कोई दूसरा किसान नेता राजनीति में नहीं कर पाया है। किसानों के हित के लिए उन्होंने जिस दल से चाहा दोस्ती की, जिस सरकार में चाहा उसमें शामिल हुए। मुजफ्फरनगर से 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने कहा था कि हार से फर्क नहीं पड़ता है लेकिन जिस सांप्रदायिक सौहार्द के साथ आपने मुझे लड़ाया, यह मेरे लिए बड़ी बात है।
जयंत चौधरी में दिखता है बड़े चौधरी साहब का अक्स
46 साल से परिवार और पार्टी से जुड़े राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी बताते हैं कि जब चौधरी साहब की तबीयत खराब हुई तो अजित सिंह 1986 में अमेरिका से कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर भारत आ गए थे। उन्होंने पार्टी को मंझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह चलाया। जयंत 15 साल से राजनीति में हैं। लोकदल के साथ ही उनको किसानों की सारी समझ है। उनमें बड़े चौधरी साहब का अक्स दिखता है। जिला पंचायत चुनाव में हमने भाजपा को करारा जवाब दिया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी जयंत चौधरी के निर्देशन में ऊंचाइयों पर जाएगी।
चौधरी चरण सिंह ने की थी बीकेडी की स्थापना
किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने 1974 में कांग्रेस मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर भारतीय क्रांति दल (बीकेडी) की स्थापना की थी। फिर इसका नाम लोकदल हो गया था। 1977 में इसका जनता पार्टी में विलय हो गया। 1980 में जनता पार्टी टूटी तो चौधरी चरण सिंह ने जनता पार्टी (एस) का गठन किया। 1980 के लोकसभा चुनाव में इसका नाम बदलकर दलित मजदूर किसान पार्टी हो गया। 1986 में चौधरी चरण सिंह की बीमारी के बाद अजित सिंह विदेश से वापस आ गए। उनको किसान ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी अध्यक्ष बनाने की बारी आई तो हेमवती नंदन बहुगुणा अलग हो गए। अजित ने लोकदल (अ) का गठन कर लिया। 1988 में जब जनता दल बना तो अजित उसके साथ हो गए। 1993 में लोकदल (अ) का कांग्रेस में विलय हो गया। 1996 में अजित ने कांग्रेस से अलग होकर बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के साथ भारतीय किसान कामगार पार्टी बनाई। 1999 में राष्ट्रीय लोकदल का गठन हुआ।