आज से कार्तिक मास शुरू हो गया है। इसी माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए तप करती हैं और निराहार व निर्जल व्रत रखती हैं।
करवाचौथ 2021: आज से कार्तिक मास शुरू हो गया है। इसी माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवाचौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए तप करती हैं और निराहार व निर्जल व्रत रखती हैं। सुहागिन महिलाएं माता पार्वती व चंद्र देव से अमर सुहाग का वरदान मांगती हैं। इस बार करवाचौथ का पर्व 24 अक्टूबर को रविवार के दिन पड़ रहा है। करवाचौथ व्रत वैसे तो महिलाओं का व्रत है, लेकिन महिला के बीमार होने या किसी विशेष परिस्थिति में पुरुष भी इस व्रत को रख सकते हैं।
पौराणिक कथाओं में ज़िक्र है कि करवाचौथ का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए किया था । तभी से इस व्रत की परंपरा शुरु हो गई।
करवा चौथ के व्रत के दिन व्रती चंद्र देव की पूजा करने के बाद ही अपना उपवास खोलती हैं। दरअसल, चंद्रमा को आयु वृद्धि का कारक माना जाता है। यानि चंद्रमा की पूजा से दीर्घायु होने का वरदान प्राप्त होता है। इसीलिए करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियां चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन ग्रहण करती हैं।
संध्या के समय चंद्रोदय से लगभग एक घंटा पूर्व शिव-परिवार की पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद चंद्रमा निकलने पर चंद्र पूजन और अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पति की लंबी उम्र की कामना करके पति को तिलक लगाएं। उनका आशीर्वाद और घर के बड़ों का आशीर्वाद लें। इसके बाद पति के हाथों जल ग्रहण करके व्रत खोलें।